अब्दुल रकीब। मध्यप्रदेश में चुनावी शोर थम गया है, राजनेताओं की किस्मत पेटियों में बंद हो चुकी है। जनता अपना फैसला भी सुना चुकी है और 3 दिसंबर को ये भी तय हो जाएगा की एमपी में किसकी सरकार बनेगी। लेकिन, उससे पहले हम आपको ये बताएंगे कि इस रिकार्डतोड़ मतदान का फायदा किस पार्टी को होगा और राज्य में किसकी सरकार बनने जा रही है। मध्यप्रदेश में इस बार 76.22% वोटिंग हुई, यह आंकड़ा पिछले चारों विधानसभा चुनावों के मुकाबले में सबसे ज्यादा है। आपको बता दें कि जब-जब इस तरह की रिकार्डतोड़ वोटिंग हुई है, तब-तब राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ है। बंपर वोटिंग की खबर ने जहां कांग्रेस के चेहरे को रिजल्ट से पहले मुस्कुराने की वजह दे दी है तो वहीं बीजेपी के खेमे में मायूसी छाई हुई है।
2018 में बंपर वोटिंग से गई थी शिवराज सरकार
2018 की बात करें तो राज्य में इस चुनाव में 75 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी। इस बंपर वोटिंग की बदौलत कांग्रेस के सिर जीत का ताज सजा था और कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। 2003 के बाद पहली बार हुए सत्ता परिवर्तन में कांग्रेस के कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि इस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस को सबसे ज्यादा 114 और बीजेपी को 109 सीटें मिलीं थी। जिसके बाद कांग्रेस ने निर्दलीय और सपा-बसपा के समर्थन से सरकार बनाई थी। बात करें वोट शेयर की तो 2018 में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले थे।
2013 में एक बार फिर सीएम बने थे शिवराज
2013 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 70 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई थी। हालांकि, इस बंपर वोटिंग का फायदा कांग्रेस को नहीं बीजेपी को हुआ था और एक बार फिर राज्य में बीजेपी की सरकार बनी थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस चुनाव में बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज करते हुए 165 सीटें हासिल की थी तो वहीं कांग्रेस सिर्फ 58 सीटों पर सिमट गई थी। बहुजन समाजवादी पार्टी ने चार सीटें हासिल की थी।
शहर में बीजेपी हुई कमजोर, ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस की पकड़ मजबूत
राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हुए मतदान की बात करें तो यहां भी बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में इस बार कम वोटिंग हुई है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण इलाकों में बड़ी तादाद में लोगों ने अपने मतों का इस्तेमाल किया है। शहरी क्षेत्रों से ज्यादा वोटिंग प्रतिशत ग्रामीण इलागकों में देखने को मिला है। इस बार साइलेंट वोटर यानी महिला वोटर्स ने जमकर वोटिंग की है। महिला वोटर्स की बढ़ी हुई संख्या को लेकर अंदाजा लगाना भी बीजेपी-कांग्रेस के लिए बेहद मुश्किल है।