कोरोना वायरस महामारी के बाद एक और नए वायरस ने दस्तक दी है. मंकीपॉक्स ने दुनिया के कई देशों के लिए खतरे की घंटी बजाई है. मंकीपॉक्स के पहले मामले की भारत में भी पुष्टि हो गई है.
देश में मंकीपॉक्स (MPox) का पहला केस मिल चुका है। मंकीपॉक्स वायरस चिकनपॉक्स (चेचक)या उस जैसे वायरस समूह का सदस्य है। जिसकी पहली बार पहचान साल 1958 में हुई थी। बता दें, इस मामले की पुष्टि खुद 9 सितंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को मंकीपॉक्स को लेकर पैनिक नहीं होने की सलाह दी है।
जबकि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को गाइडलाइन जारी करके संदिग्ध रोगियों की स्क्रीनिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने की सलाह दी है। बता दें, दिल्ली के इस संदिग्ध मरीज को एक दिन पहले ही अस्पताल में आइसोलेट करके उसके सैंपल की जांच कि गई थी। जिसके बाद उसके शरीर में एमपॉक्स वायरस होने की पुष्टि की गई है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मंकीपॉक्स वायरस (एमपीएक्सवी) के महामारी का रूप लेने की संभावना बहुत कम है. एम्स नई दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने आईएएनएस को बताया, “घबराने की कोई जरूरत नहीं है. मानता हूं कि मृत्यु दर अब भी अधिक है, लेकिन संक्रमण केवल करीबी संपर्कों के मामलों में ही संभव है.”
एमपॉक्स (मंकीपॉक्स), मंकीपॉक्स वायरस से होने वाला एक संक्रामक रोग है। इससे दर्दनाक दाने, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स के साथ तेज बुखार हो सकता है। इसका प्रकोप मुख्यरूप से समलैंगिक, बाइसेक्सुअल लोगों में अधिक देखा जाता रहा है। ऐसे में आप कुछ बातों का खास ख्याल रखकर खुद को सेहतमंद बनाए रख सकते हैं। जैसे कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के चार से 14 दिनों के बीच वैक्सीन लगवाने से बीमारी की गंभीरता कम हो जाती है। इसके अलावा साफ-सफाई का ध्यान रखने के साथ बार-बार हाथ धोने और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखकर भी व्यक्ति इस वायरस को फैलने से रोक सकता है।