पीरियोडिक लेबर फोर्स का सर्वे 2023-24 सामने आया है। इसके मुताबिक एक साल के अंदर देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में घटी है। यहां बेरोजगारी दर 3.4% है, जो 2022-23 में 6.1% थी।
सरकारी आंकड़े के अनुसार मध्य प्रदेश में बेरोजगारी दर एक फीसदी से भी कम है। केरल और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में युवा बेरोजगारी दर ज्यादा है। वहीं, मध्य प्रदेश और गुजरात में सबसे कम बेरोजगारी दर है। सोमवार को जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) से पता चला है कि केरल में 15-29 वर्ष आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 29.9% है, जिसमें महिलाओं में बेरोजगारी दर 47.1% और पुरुषों में 19.3% है।
Periodic Labour Force Survey में राज्यों का हाल
1 देश के 25 राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों का लेबर पार्टिसिपेशन रेट राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
2 सिक्किम का लेबर पार्टिसिपेशन रेट यानी राज्य की कुल आबादी में काम करने या काम खोजने वाले लोग सबसे अधिक 60.5% हैं। यहां महिलाओं की
हिस्सेदारी 55% और पुरुषों की 65% है।
3 इस लिस्ट में बिहार 29% के साथ सबसे नीचे है। इसके बाद यूपी (33.8%) और झारखंड (34.6%) का नंबर आता है।
4 कुल आबादी में काम करने वालों की संख्या यानी वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो देखें तो सिक्किम (58.2%) सबसे ऊपर है। छत्तीसगढ़ (51.3%) दूसरे पर है।
5 लेबर पार्टिसिपेशन रेट के मामले में 11 प्रमुख राज्यों की सूची में छत्तीसगढ़ (52.8%) टॉप पर है।

6 महाराष्ट्र (46%) दूसरे व गुजरात (45.8%) तीसरे नंबर पर है। देश में सभी उम्र के लिए ये 40.3% है। 2022-23 में 39% था।
7 . पंजाब में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा 5.5% है, जो पिछले साल 6.1% थी। राजस्थान दूसरे पर है।
8 . 6 साल की बेरोजगारी दर देखें तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सबसे कम 0.8% की गिरावट आई। दिल्ली में सबसे ज्यादा 7.6% कमी आई।
9 . छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 51% लोग कोई न कोई काम करते हैं। इस सूची में गुजरात (45%) दूसरे और महाराष्ट्र (44.5%) तीसरे नंबर पर।
पिछले 6 साल में सबसे ज्यादा 9% बढ़ोतरी गुजरात ने दर्ज की है। मध्य प्रदेश एकमात्र राज्य है, जहां काम करने वालों में 1.4% की गिरावट आई है।
MP में सबसे कम युवा बेरोजगार
राज्य 23-24 उम्र में बेरोजगारी दर
बिहार 3.0
छत्तीसगढ़ 2.5
दिल्ली 2.1
झारखंड 1.3
गुजरात 1.1
मध्य प्रदेश 0.9
वहीं, युवाओं में बेरोजगारी नीति निर्माताओं के लिए एक समस्या रही है, जिसके कारण रोज़गार सृजन के लिए कई उपाय किए गए हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि 7% से अधिक की आर्थिक वृद्धि पर्याप्त रोज़गार पैदा नहीं कर रही है।