भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सिर्फ राजनीति ही नहीं, रंगमंच की दुनिया में भी एक पहचाना नाम रहे हैं। वर्षों पहले उज्जैन में हुए भव्य महानाट्य में उन्होंने सम्राट विक्रमादित्य के पिता महेंद्रादित्य की भूमिका निभाई थी। अब एक बार फिर सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित नाट्य का मंचन दिल्ली के लाल किले पर होने जा रहा है, जिसमें इतिहास, संस्कृति और शौर्य की झलक देखने को मिलेगी।

चर्चा में सीएम की पुरानी रंगमंचीय तस्वीर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की एक पुरानी रंगमंचीय तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है। यह तस्वीर सालों पहले उज्जैन में हुए ‘सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य’ के मंचन की है, जिसमें डॉ. यादव ने महाराज महेंद्रादित्य—विक्रमादित्य के पिता—की भूमिका निभाई थी।

रंगमंच से राजनीति तक का सफर
‘श्री विशाल सांस्कृतिक और लोकहित समिति उज्जैन’ के अनुसार, जब डॉ. यादव पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष थे, तब भी वे इस महानाट्य का हिस्सा बने थे। वे वर्षों तक इस मंचन में सक्रिय रूप से भाग लेते रहे और उनके अभिनय की सराहना की जाती थी। महेंद्रादित्य की भूमिका में उनका सीन लगभग आधे घंटे का होता था, जिसमें वे पुत्र विक्रमादित्य के राज्याभिषेक का दृश्य निभाते थे।
दिल्ली के लाल किले पर फिर जीवंत होगा विक्रम युग
अब एक बार फिर सम्राट विक्रमादित्य की गाथा को नाट्य मंच पर जीवंत किया जा रहा है। 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर इस भव्य महानाट्य का आयोजन किया जा रहा है।

सम्राट विक्रमादित्य की जीवनी होगी प्रस्तुत
इस मंचन में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन, शासनकाल और उनके ऐतिहासिक योगदान को 250 से अधिक कलाकारों की टीम प्रस्तुत करेगी। इसके अलावा, विक्रमादित्य काल की मुद्राएं, कलाकृतियां और ऐतिहासिक प्रदर्शनियां भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगी।
24 से 26 मई तक भोपाल में भी होगा मंचन
महानाट्य के निर्माता और प्रस्तुतकर्ता श्री कुशवाहा ने बताया कि अब तक इस मंचन के 52 से ज्यो सफल शो हो चुके हैं। आगामी मई में भोपाल के लाल परेड मैदान में 24 से 26 मई तक इस नाट्य का आयोजन किया जाएगा।

संस्कृति और कला के प्रति CM की गहरी आस्था
डॉ. मोहन यादव की यह रंगमंचीय पृष्ठभूमि यह दर्शाती है कि वे केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि संस्कृति और कला के प्रति गहरी आस्था रखने वाले व्यक्ति भी हैं। सम्राट विक्रमादित्य पर आधारित यह महानाट्य भारत के गौरवशाली अतीत को आज की पीढ़ी के सामने लाने का एक सशक्त माध्यम बन रहा है।