भिण्ड (मध्य प्रदेश), 29 मई 2025 : लहार पशु चिकित्सालय में लगातार सामने आ रही लापरवाही की शिकायतों को लेकर एसडीएम ने अचानक निरीक्षण किया और मौके पर मिली अनियमितताओं को गंभीरता से लेते हुए तीन कर्मचारियों का वेतन राजसात करने के आदेश जारी कर दिए। इस दौरान असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड ऑफिसर (AVFO) की अनुपस्थिति और उनकी गैर-जिम्मेदाराना सफाई ने पूरे मामले को सुर्खियों में ला दिया है।

निरीक्षण के दौरान क्या हुआ?
लहार एसडीएम विजय प्रताप सिंह को शिकायत मिली थी कि पशु चिकित्सालय में न तो समय पर डॉक्टर पहुंचते हैं, न ही मरीज जानवरों का इलाज गंभीरता से किया जा रहा है। इसी सूचना के आधार पर उन्होंने बिना पूर्व सूचना के सुबह 10:30 बजे औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान अस्पताल लगभग खाली मिला। सिर्फ एक निचले दर्जे का कर्मचारी मौके पर मौजूद था, जबकि अन्य डॉक्टर और सहायक कर्मचारी नदारद पाए गए। ओपीडी रजिस्टर, दवाओं की उपलब्धता, टीकाकरण रजिस्टर और स्टाफ उपस्थिति रजिस्टर – इन सभी में गड़बड़ियां पाई गईं।
SDM का कड़ा रुख: वेतन राजसात के आदेश
निरीक्षण के बाद SDM ने तीन कर्मचारियों का एक महीने का वेतन राजसात (निलंबित/जब्त) करने का निर्देश जारी किया। इन कर्मचारियों में:
असिस्टेंट वेटरनरी फील्ड ऑफिसर (AVFO)
एक क्लर्क
एक सपोर्टिंग स्टाफ
शामिल हैं। आदेश में कहा गया है कि जब तक इन कर्मचारियों से संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं मिलता, तब तक उनका वेतन रोका जाएगा।
AVFO की चौंकाने वाली सफाई: ‘रात में पी ली थी, इसलिए नहीं आ पाया’
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला बयान AVFO की ओर से आया। जब उनसे अस्पताल न आने का कारण पूछा गया, तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा:
“रात में थोड़ा पी लिया था साहब, इसलिए सुबह उठा नहीं और अस्पताल नहीं आ पाया।”
SDM विजय प्रताप सिंह ने इस गैर-जिम्मेदाराना रवैये को बेहद आपत्तिजनक करार दिया। उन्होंने कहा कि एक सार्वजनिक पद पर बैठे कर्मचारी से इस तरह की जवाबदेही की उम्मीद नहीं की जाती।
“यह न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि एक प्रकार से सेवा नियमों का खुला उल्लंघन भी है। इस पर सख्त कार्रवाई तय है,” – विजय प्रताप सिंह, एसडीएम, लहार

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया: ‘जानवरों का कोई देखने वाला नहीं’
स्थानीय ग्रामीणों ने SDM की कार्रवाई का स्वागत किया और कहा कि अस्पताल में लापरवाही का यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था। क्षेत्र के किसान रामप्रसाद कुशवाहा ने कहा:
“पिछली बार हमारी भैंस बीमार हुई थी, डॉक्टर तीन दिन बाद आया, वो भी बिना दवा के। अब अगर प्रशासन कुछ सख्त कदम उठा रहा है तो हम समर्थन करते हैं।”
पशु स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा पर सवाल
यह घटना मध्य प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करती है। जहां एक ओर सरकार ‘पशु संजीवनी योजना’ जैसी योजनाओं के तहत पशु चिकित्सा और डेयरी विकास को प्राथमिकता दे रही है, वहीं फील्ड स्तर पर जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी गंभीरता नहीं दिखा रहे।
सम्बंधित प्रशासनिक दिशा-निर्देश
राज्य सरकार की पशु चिकित्सा सेवाओं की कार्य प्रणाली के अनुसार:
सभी AVFO और चिकित्सकों को सुबह 9 बजे तक अस्पताल पहुंचना अनिवार्य है।
उपस्थिति रजिस्टर की मॉनिटरिंग प्रति सप्ताह बीएमओ या एसडीएम स्तर पर की जानी चाहिए।
शराब पीकर ड्यूटी से अनुपस्थित रहना ‘घोर अनुशासनहीनता’ की श्रेणी में आता है और इसमें निलंबन/बर्खास्तगी तक की कार्रवाई संभव है।