उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। मऊ से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के विधायक और माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को अदालत ने हेट स्पीच (घृणा फैलाने वाला भाषण) मामले में दो साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उनकी विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गई है।
मऊ की एक अदालत ने अब्बास अंसारी को आईपीसी की धारा 171-F और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत दोषी पाया। कोर्ट ने उन्हें 2 साल की जेल और 3,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। चूंकि जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती है, इसलिए अब अब्बास की विधायकी खत्म हो गई है।
क्या था मामला?
यह मामला साल 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए एक विवादित भाषण से जुड़ा है। अब्बास अंसारी ने एक चुनावी सभा में कहा था कि “सरकारी अधिकारियों से हिसाब लिया जाएगा, और उनके ट्रांसफर भी नहीं होने दिए जाएंगे, पहले हिसाब होगा फिर कुछ और।” इस बयान को प्रशासन के खिलाफ सीधी धमकी के रूप में देखा गया। मामला तूल पकड़ते ही उनके खिलाफ हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज किया गया और न्यायिक प्रक्रिया शुरू हुई।कानूनी कार्रवाई और सजाकोर्ट ने अब्बास अंसारी को दोषी ठहराते हुए कहा कि उनका भाषण समाज में वैमनस्य फैलाने वाला और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विरुद्ध था। सजा सुनाए जाने के बाद, अब्बास अंसारी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। साथ ही उनकी सदस्यता समाप्त करने के लिए विधानसभा सचिवालय को सूचना भेज दी गई है।
राजनीतिक असर
अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्त होने से मऊ विधानसभा सीट अब रिक्त हो गई है। आगामी दिनों में यहां उपचुनाव कराए जाने की संभावना है। वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के लिए यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो हाल के वर्षों में पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत कर रही थी।अब्बास अंसारी के राजनीतिक करियर को इस फैसले से बड़ा नुकसान पहुंचा है। उनके पिता मुख्तार अंसारी पहले से ही कई गंभीर आपराधिक मामलों में जेल में बंद हैं। अब बेटा भी कानूनी शिकंजे में आ गया है।
हेट स्पीच पर मिली सजा
अब्बास अंसारी के खिलाफ आए इस फैसले ने यह साफ कर दिया है कि लोकतंत्र में किसी को भी कानून से ऊपर नहीं माना जा सकता। हेट स्पीच और सत्ता का दुरुपयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई का यह एक उदाहरण बन गया है। आने वाले दिनों में इस घटना का असर पूर्वांचल की राजनीति में भी देखने को मिल सकता है।