इंदौर, 1 जून 2025 — इंदौर में एक बैंक मैनेजर की सतर्कता और सूझबूझ ने एक रिटायर्ड प्रिंसिपल को साइबर ठगी का शिकार होने से बचा लिया। सेंट्रल स्कूल की पूर्व प्रिंसिपल, जो अब रिटायर हो चुकी हैं, को एक गिरोह ने “डिजिटल अरेस्ट” का डर दिखाकर एक करोड़ रुपए की मांग की थी।
पीड़िता के अनुसार, उन्हें एक अनजान कॉल आया जिसमें खुद को किसी केंद्रीय जांच एजेंसी का अधिकारी बताने वाले व्यक्ति ने कहा कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में हो रहा है। उन्हें धमकाया गया कि यदि उन्होंने तत्काल एक करोड़ रुपए ट्रांसफर नहीं किए, तो उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया जाएगा — यानी उनके सभी बैंक खाते और डिजिटल गतिविधियां फ्रीज़ कर दी जाएंगी।
डर और भ्रम की स्थिति में उन्होंने अपने बैंक पहुंचकर पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन बैंक मैनेजर ने उनके व्यवहार में असामान्यता महसूस की। जब उनसे पूछताछ की गई, तो उन्होंने कॉल की जानकारी दी। बैंक मैनेजर ने तत्काल ट्रांजैक्शन रोका और साइबर सेल को सूचित किया।
साइबर सेल की जांच में सामने आया कि यह एक अंतरराज्यीय ठगी गिरोह था, जो वरिष्ठ नागरिकों और रिटायर्ड लोगों को निशाना बनाता है। “डिजिटल अरेस्ट” जैसी डरावनी और झूठी अवधारणाओं का इस्तेमाल कर लोग ठगों के जाल में फंस जाते हैं।
सावधानी ही सुरक्षा है
साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि किसी भी सरकारी एजेंसी या बैंक की ओर से इस तरह की धमकी भरी कॉल नहीं की जाती। यदि किसी को ऐसा कॉल आए, तो तुरंत 1930 या स्थानीय साइबर क्राइम शाखा में शिकायत करें।
बैंक मैनेजर को सराहना
इस घटनाक्रम में बैंक मैनेजर की सतर्कता के कारण न सिर्फ एक बड़ा आर्थिक नुकसान टला, बल्कि एक रिटायर्ड शिक्षिका को मानसिक आघात से भी बचाया जा सका। बैंक की ओर से उन्हें विशेष प्रशंसा पत्र भी दिया गया है।