भिंड: भीम आर्मी के नेता और आजाद समाज पार्टी के पूर्व दतिया विधानसभा क्षेत्र प्रत्याशी दामोदर यादव ने कलेक्टर के खिलाफ कड़े और विवादित बयान दिए हैं। यह घटना भिण्ड कलेक्ट्रेट परिसर में किसानों की जमीन से जुड़े मामले को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान सामने आई। भीम आर्मी ने किसानों की जमीनों पर फिर से कब्जे को लेकर आवाज उठाई और इस दौरान दामोदर यादव ने कलेक्टर को नालायक तक कह डाला।
‘भीम आर्मी नेता ने DM को कहा ‘नालायक’
भीम आर्मी नेता दामोदर यादव ने कलेक्टर को न केवल नालायक बताया, बल्कि कड़ी चेतावनी भी दी कि अगर भविष्य में प्रशासन की ओर से फिर से ऐसी नालायकी हुई तो मुख्यमंत्री खुद पूरे प्रदेश में कलेक्टर को जिस कोने में बिठाएगा, वे वहीं जाकर उसकी ऐसी तैसी कर देंगे। इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग प्रशासनिक अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बन गया है।
किसानों की जमीनों को लेकर प्रदर्शन
भीम आर्मी का यह प्रदर्शन किसानों की जमीनों के हक में था। स्थानीय किसानों का आरोप है कि उनकी जमीनें प्रशासन गलत तरीके से अधिग्रहित कर रहा है। या कब्जा हटाने के नाम पर उन्हें नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इस कारण भीम आर्मी ने कलेक्ट्रेट के सामने जमकर प्रदर्शन किया और अपने नेता के माध्यम से प्रशासन पर सख्त टिप्पणी की।
किसानों को दिलाएंगे जमीन वापस
दामोदर यादव ने कहा कि किसान हमारे देश के असली मालिक हैं और उनकी जमीन वापस दिलाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे अपने “पिल्लों” को समझाएं और गरीब किसानों की जमीनों को उनके अधिकार के अनुसार लौटाया जाए। उनका यह भी कहना था कि प्रशासन की यह गैरजिम्मेदाराना कार्रवाई आम जनता के साथ विश्वासघात है।
जमीन नहीं मिलेगी तो होगा आंदोलन
इस मामले ने प्रशासनिक महकमे में हलचल मचा दी है। अधिकारियों का कहना है कि कानून और प्रशासन की मर्यादा का पालन सभी को करना होगा। वहीं, भीम आर्मी नेता का कहना है कि जब तक किसानों की जमीनें वापस नहीं मिलतीं, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
प्रशासन और भीम आर्मी के बीच तनाव
इस घटना के बाद प्रशासन और भीम आर्मी के बीच तनाव बढ़ गया है। कलेक्टर कार्यालय ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही दोनों पक्षों के बीच वार्ता होगी ताकि विवाद का समाधान निकाला जा सके।
जमीनों का मुद्दा बना बहस का विषय
इस पूरे घटनाक्रम ने भिण्ड जिले में किसान-प्रशासन संबंधों में खटास पैदा कर दी है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस विवाद को कैसे सुलझाते हैं। किसानों की जमीनों का मुद्दा न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि प्रदेश स्तर पर भी गंभीर राजनीतिक और सामाजिक बहस का विषय बना हुआ है।