लखनऊ विश्वविद्यालय के एक और शिक्षक ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए विवादित बयान दिया है। विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन ने RSS पर सिधा निशाना साधा है। साथ ही अपने पोस्ट में उन्होंने नेहरू का जमकर बखान किया है।
वहीं, दूसरी तरफ प्रोफेसर का विवादित पोस्ट सामने आने के बाद ABVP से जुड़े छात्रों में जबरदस्त आक्रोश है। अहम बात ये है कि ये पहली बार नहीं है जब रविकांत चंदन का नाम विवादों में आए हैं। वे पहले भी विवादों में रहे हैं। साल 2022 में वाराणसी के काशी विश्वनाथ-ज्ञानव्यापी प्रकरण में उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद LU कैंपस में स्टूडेंट्स ने उनका जबरदस्त विरोध किया था। 18 मई 2022 को उनसे छात्रों ने मारपीट भी की थी। जिसके बाद एक छात्र को विश्वविद्यालय से निष्कासित कर दिया गया था।
रविकांत चंदन का पोस्ट
मुस्कान और सोनम रघुवंशी जैसी महिलाएं संघी विचार की उपज हैं। ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले, डॉ. अंबेडकर ने महिलाओं के हाथ में कलम और किताब दी। नेहरू ने वो अवसर उपलब्ध कराए। महिलाओं ने शिक्षा हासिल करके सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने का सलीका सीखा। पिछले दशकों में महिलाओं ने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए। लेकिन आरएसएस ने अपने हिंदुत्व की प्रयोगशाला के लिए बेटियों के हाथों में त्रिशूल और तलवार पकड़ा दी। उनके मन में विधर्मियों के खिलाफ हिंसा और नफरत पैदा की। इसका प्रभाव गुजरात और दिल्ली के दंगों में दिखाई दिया। जाहिर तौर पर इस हिंसा और नफरत का इस्तेमाल भीतर भी होना ही था। आज महिलाएं अगर अपने पतियों की हत्या करवा रही हैं तो इसके लिए सिर्फ और सिर्फ RSS की हिंसा और नफरत की मानसिकता जिम्मेदार है।
पूर्व छात्र ने हसनगंज थाने में दी तहरीर
लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र कार्तिक पांडेय ने हसनगंज थाने में एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। पांडेय ने तहरीर में लिखा-एसोसिएट प्रोफेसर की सोशल मीडिया फेसबुक पर की गई पोस्ट न केवल मानहानि करने वाली है। बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ नफरत फैलाने वाला है।
दो प्रोफेसर भी कर चुके हैं विवादित टिप्पणी
इससे पहले लखनऊ विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.सौरव बनर्जी को शो-कॉज नोटिस जारी किया गया था। उन पर PM मोदी समेत BJP-RSS के खिलाफ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप था। बनर्जी को 5 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए गए थे।