सरकार ने फास्टैग (FASTag) को लेकर निजी वाहन मालिकों के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, जिसके तहत सिर्फ 3000 रुपए सालाना शुल्क देकर वाहन मालिक 200 बार टोल प्लाजा क्रॉस कर सकेंगे। यह योजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित की गई है, जिसका उद्देश्य टोल भुगतान को और अधिक सुविधाजनक बनाना तथा नकद लेन-देन को खत्म करना है।
क्या है नया फास्टैग प्लान?
नए प्रस्ताव के तहत निजी कार, एसयूवी और अन्य हल्के चार पहिया वाहनों के लिए यह स्कीम लागू की जाएगी। इस स्कीम में:
3000 रुपए वार्षिक भुगतान करना होगा।
यह शुल्क प्रीपेड या सब्सक्रिप्शन आधारित होगा।
वाहन साल में अधिकतम 200 बार टोल प्लाजा पार कर सकता है, बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के।
200 ट्रांजैक्शन पूरे होने के बाद सामान्य दरों पर चार्ज लिया जाएगा या फिर रिचार्ज की आवश्यकता होगी।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का उद्देश्य फास्टैग सिस्टम को और अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। साथ ही निजी वाहनों के मालिकों को एक सीमित लेकिन सुलभ सुविधा देना है, जिससे वे हर बार टोल भुगतान की चिंता से बच सकें। इस प्लान से जहां टोल प्लाज़ा पर जाम की स्थिति में कमी आएगी, वहीं डिजिटल लेन-देन को भी बढ़ावा मिलेगा।
लाभ और सीमाएं
लाभ:
- सालभर के लिए निश्चित शुल्क पर टोल पार करने की सुविधा
- बार-बार रिचार्ज या बैलेंस की जांच की आवश्यकता नहीं
- ट्रांजैक्शन की स्पष्ट सीमा, जिससे खर्च का अनुमान लगाना आसान
सीमाएं:
- योजना सिर्फ निजी गाड़ियों के लिए ही है
- एक साल में सिर्फ 200 ट्रांजैक्शन की अनुमति
- योजना के तहत सभी टोल प्लाजा शामिल होंगे या नहीं, इसकी स्पष्टता अभी नहीं
भारत भी करेगा डिजिटल टोलिंग को मजबूत
अमेरिका, यूएई और कई यूरोपीय देशों में पहले से ही फिक्स्ड टोल सब्सक्रिप्शन मॉडल लागू हैं। भारत में यह कदम उसी दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। इससे न केवल टोल कलेक्शन में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि प्रदूषण में भी कमी आएगी क्योंकि गाड़ियां बिना रुके आगे बढ़ सकेंगी।
क्या कहता है सड़क परिवहन मंत्रालय?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, “यह योजना वाहन मालिकों को टोल भुगतान से संबंधित अनिश्चितता से छुटकारा दिलाने के लिए है। इसका उद्देश्य न सिर्फ सुविधा बढ़ाना है, बल्कि टोलिंग सिस्टम को भविष्य के लिए तैयार करना भी है।”
कब से लागू होगी योजना?
फिलहाल यह योजना प्रस्तावित चरण में है। सरकार इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ राज्यों में लागू कर सकती है। इसके परिणामों के आधार पर इसे राष्ट्रीय स्तर पर रोलआउट किया जाएगा। सरकार की यह नई फास्टैग योजना निजी वाहन मालिकों के लिए सुविधाजनक, किफायती और समय बचाने वाली हो सकती है। हालांकि इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी सहजता से लागू किया जाता है और उपयोगकर्ता इसे कितना अपनाते हैं। भविष्य में यह योजना भारत के टोलिंग सिस्टम में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।