लोकप्रिय यूट्यूबर ज्योति के खिलाफ दर्ज मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। दिल्ली पुलिस और जांच एजेंसियां उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश करने में विफल रही हैं, जिससे फिलहाल उन्हें बड़ी राहत मिलती नजर आ रही है। मामले को लेकर बीते कई हफ्तों से सोशल मीडिया और खबरिया चैनलों पर चर्चाओं का दौर जारी था, लेकिन अब इस खबर ने पूरे घटनाक्रम को नया मोड़ दे दिया है।
क्या था मामला?
ज्योति, जो सोशल मीडिया पर अपने विचारों और व्यंग्यात्मक शैली के लिए जानी जाती हैं, पर कुछ विवादास्पद टिप्पणियों और कथित रूप से भड़काऊ वीडियो के चलते प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उनके एक वीडियो ने विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत किया और कानून-व्यवस्था को खतरे में डाला।
हालांकि, ज्योति ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि उनकी बातों को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उन्हें बदनाम करने की एक साज़िश रची जा रही है।
जांच में क्या निकला सामने?
पुलिस द्वारा गठित विशेष जांच दल (SIT) ने ज्योति के खिलाफ दर्ज सभी डिजिटल और प्रत्यक्ष साक्ष्यों की पड़ताल की। जांच के दौरान यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से वीडियो सामग्री मंगाई गई और उनकी फॉरेंसिक जांच करवाई गई।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, “वीडियो की भाषा विवादास्पद हो सकती है, लेकिन कानून की धाराओं के तहत यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उसमें किसी प्रकार की सीधी उकसावे की बात या हिंसा को प्रोत्साहित करने वाली सामग्री थी।”
वकील की प्रतिक्रिया
ज्योति की ओर से पेश वकील, अधिवक्ता नमन शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम शुरू से ही कह रहे थे कि ये मामला राजनीति से प्रेरित है। अब जब पुलिस खुद सबूत नहीं जुटा पाई है, तो ये साबित होता है कि हमारे मुवक्किल को झूठे केस में फंसाया गया था। हम जल्द ही इस केस को बंद करने की मांग करेंगे।”
समर्थकों और विरोधियों की प्रतिक्रिया
ज्योति के समर्थकों ने इस खबर को सोशल मीडिया पर “सच्चाई की जीत” बताया है। ट्विटर और इंस्टाग्राम पर #JusticeForJyoti ट्रेंड कर रहा है, जिसमें लोग उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
वहीं, कुछ वर्गों ने इस निष्कर्ष पर सवाल उठाए हैं और मांग की है कि जांच को और गहराई से किया जाए। विरोधियों का कहना है कि भले ही कानूनी तौर पर सबूत न मिले हों, लेकिन सामाजिक जिम्मेदारी को लेकर सवाल अब भी कायम हैं।
क्या होगा आगे?
पुलिस अब इस केस को तकनीकी रूप से ‘क्लोजर रिपोर्ट’ के लिए अदालत में पेश कर सकती है, जिसमें स्पष्ट किया जाएगा कि फिलहाल अभियोजन लायक पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं। अदालत इस रिपोर्ट को स्वीकार करेगी या नहीं, यह देखना अभी बाकी है।
इसके साथ ही ज्योति की टीम कानूनी रूप से उन लोगों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी में है जिन्होंने बिना प्रमाण उनके खिलाफ अभियान चलाया।
यूट्यूबर ज्योति के खिलाफ दर्ज केस फिलहाल कमजोर होता दिख रहा है। पुलिस द्वारा सबूत न जुटा पाने के चलते जहां एक ओर उन्हें राहत मिली है, वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर यह मुद्दा अब भी गर्माया हुआ है। यह घटना न सिर्फ इंटरनेट जगत में जिम्मेदार अभिव्यक्ति की जरूरत को रेखांकित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैल रही सूचनाओं की सत्यता जांचना कितना जरूरी है।