भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच बुधवार को फोन पर करीब 35 मिनट लंबी बातचीत हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की विस्तृत जानकारी राष्ट्रपति ट्रम्प को दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बातचीत का ब्यौरा साझा करते हुए बताया कि इस बातचीत में व्यापार, मध्यस्थता या किसी तीसरे पक्ष की भूमिका पर कोई चर्चा नहीं हुई।
भारत की स्पष्ट नीति: ‘ना कभी मध्यस्थता मानी, ना मानेंगे‘
विदेश सचिव ने कहा कि पीएम मोदी ने बातचीत के दौरान यह दो टूक कहा कि भारत ने पहले कभी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया है और आगे भी नहीं करेगा। उन्होंने बताया कि सीजफायर पाकिस्तान के आग्रह पर ही हुआ, न कि अमेरिका या किसी अन्य देश की मध्यस्थता के तहत।
आतंकवाद को लेकर भारत का कड़ा रुख
मोदी ने कहा कि अब भारत किसी भी आतंकी हमले को ‘प्रॉक्सी वॉर’ नहीं बल्कि सीधे युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसी नीति के तहत शुरू किया गया था और यह अभी भी जारी है। पीएम ने स्पष्ट किया कि 6-7 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने सिर्फ आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था—वो भी पूरी सावधानी और सटीकता के साथ।
पाकिस्तान ने खुद मांगा सीजफायर
विदेश सचिव के अनुसार, 9-10 मई की रात भारत की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान को गंभीर सैन्य नुकसान हुआ। भारत ने पाकिस्तान के मिलिट्री एयरबेस को इनऑपरेबल कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान को सैन्य कार्रवाई रोकने की सीधी अपील करनी पड़ी।
G7 में नहीं हो सकी मुलाकात, फोन पर हुई बातचीत
मोदी और ट्रम्प की मुलाकात G7 सम्मेलन के इतर तय थी, लेकिन ट्रम्प को 17 जून को अमेरिका लौटना पड़ा। इसके बाद राष्ट्रपति ट्रम्प के आग्रह पर यह फोन बातचीत हुई। पीएम मोदी ने ट्रम्प को बताया कि भारत ने पहलगाम हमले के बाद कड़ा एक्शन लिया था, जिसमें सिंधु जल संधि पर रोक, अटारी चेक पोस्ट बंद करना और पाकिस्तान के उच्चायुक्त को निष्कासित करना शामिल था।
क्वाड बैठक के लिए मोदी का ट्रम्प को भारत आने का निमंत्रण
बातचीत के अंत में पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प को क्वाड सम्मेलन के लिए भारत आमंत्रित किया, जिसे ट्रम्प ने स्वीकार कर लिया। दोनों नेताओं ने इजराइल-ईरान और रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर सहमति जताई।
विपक्ष ने उठाए सवाल
पीएम मोदी और ट्रम्प की बातचीत को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं:
संजय राउत (शिवसेना) ने कहा, “ट्रम्प को सार्वजनिक रूप से कहना चाहिए कि उन्होंने मध्यस्थता का दावा वापस ले लिया है। मोदी की बात पर कौन भरोसा करेगा?”
डी. राजा (CPI) ने पूछा कि पीएम खुद संसद में आकर क्यों नहीं बताते कि ट्रम्प से क्या बात हुई।
जयराम रमेश (कांग्रेस) ने कहा, “भारत की विदेश नीति को तीन झटके लगे हैं—पाकिस्तान के आर्मी चीफ को ट्रम्प का लंच इनविटेशन, पाकिस्तान को ‘आतंकवाद विरोधी साझेदार‘ बताना और ट्रम्प के बार-बार मध्यस्थता के दावे।”
सीजफायर किसी अमेरिकी दवाब में नहीं हुआ
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान पर कड़ा रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर‘ शुरू किया। 7 से 10 मई के बीच दोनों देशों के बीच संघर्ष चला, जिसके बाद 10 मई को ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर सीजफायर की घोषणा की थी। हालांकि भारत ने स्पष्ट किया कि यह सीजफायर पाकिस्तान की अपील पर हुआ, किसी अमेरिकी दबाव में नहीं।