एक ही समय में सरकारी अस्पताल और मोबाइल मेडिकल यूनिट में सेवा दे रहे डॉक्टर, फर्जी मरीजों की एंट्री से बढ़ाए जा रहे आंकड़े
कोरबा : मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट (MMU) में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ है। आरोप है कि बव्या हेल्थ सर्विसेज कंपनी प्रबंधन, रीजनल मैनेजर आशीष जायसवाल, एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर नेहा कश्यप और मोबाइल मेडिकल यूनिट-2 के चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार जांगड़े की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा चल रहा है।

एक डॉक्टर, दो जगह सेवाएं!
मीडिया की पड़ताल में सामने आया कि डॉ. राकेश कुमार जांगड़े एक ही समय पर शासकीय अस्पताल और मोबाइल मेडिकल यूनिट दोनों जगह सेवाएं दे रहे थे। सवाल यह है कि कोई भी चिकित्सक एक समय पर दो स्थानों पर अपनी उपस्थिति कैसे दर्ज कर सकता है?मीडिया कर्मियों की हड़ताल के दौरान यह मामला प्रकाश में आया। पत्रकारों ने स्वयं शासकीय अस्पताल और मोबाइल मेडिकल यूनिट दोनों जगह जाकर वीडियो और तस्वीरें लीं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। इससे कंपनी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
फर्जी मरीजों का खेल !
जांच में यह भी सामने आया कि मरीजों की संख्या बढ़ाने के लिए फर्जी नाम और एंट्री की जा रही है।एक ही मोबाइल नंबर से कई मरीज दर्ज किए गए।जब उन नंबरों पर कॉल किया गया तो मरीजों ने बताया कि उन्होंने कभी मोबाइल मेडिकल यूनिट में इलाज ही नहीं कराया।सूत्रों के मुताबिक कंपनी प्रबंधन के उच्च अधिकारी मोबाइल मेडिकल यूनिट में कार्यरत कर्मचारियों पर मरीजों की संख्या बढ़ाने का दबाव डालते हैं। इसका सीधा उद्देश्य नगर निगम और शासकीय एजेंसियों से लाखों-करोड़ों रुपये का भुगतान वसूलना है और निगम से वाहवाही लूटना हैं।
निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल
मोबाइल मेडिकल यूनिट के बेहतर संचालन और देखरेख के लिए कंपनी ने एरिया प्रोजेक्ट मैनेजर नियुक्त किए हैं। कोरबा जिले की मोबाइल मेडिकल यूनिट-2 और 6 की जिम्मेदारी नेहा कश्यप को सौंपी गई है। ऐसे में बिना उनकी जानकारी और मिलीभगत के इस तरह का फर्जीवाड़ा संभव नहीं माना जा रहा।रीजनल मैनेजर आशीष जायसवाल पर भी आरोप है कि उन्होंने भर्ती प्रक्रिया और संचालन में लापरवाही बरती। बिना प्रबंधन की सहमति और सांठगांठ के इतना बड़ा भ्रष्टाचार संभव नहीं हो सकता।
जनता के साथ धोखा
इस पूरे खेल का सबसे बड़ा खामियाजा गरीब और ज़रूरतमंद मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।एक तरफ राज्य सरकार करोड़ों रुपये खर्च करके स्लम क्षेत्रों के लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुँचाने की योजना चला रही है।दूसरी ओर कंपनी प्रबंधन और अधिकारियों की मिलीभगत से यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।स्थानीय नागरिकों और मीडिया प्रतिनिधियों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो न केवल योजना की साख पर बट्टा लगेगा, बल्कि सबसे ज़रूरी – गरीब मरीजों को सही स्वास्थ्य सुविधा भी नहीं मिल पाएगी।