MP NEWS: मध्यप्रदेश की महिला सुरक्षा की स्पेशल DG प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने सभी जिलों के SP (सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि होटल और ढाबों में पुलिस रेड के दौरान सेक्स वर्कर महिला को आरोपी न बनाया जाए और न ही उन्हें गिरफ्तार किया जाए। यह आदेश एक महत्वपूर्ण पहल है जो महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए लागू किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
इस आदेश में प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने आदेश का भी हवाला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा था कि सेक्स वर्क का स्वैच्छिक कार्य अवैध नहीं है, और यदि कोई महिला अपनी इच्छा से इस काम में लिप्त है, तो उसे गिरफ्तार या परेशान नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट किया गया था कि केवल वैश्यालय (रेड-लाइट एरिया) चलाना अवैध है, जबकि स्वयं सेक्स वर्क में शामिल होना या इसे स्वेच्छा से करना कानून के खिलाफ नहीं है।

स्पेशल DG का निर्देश
स्पेशल DG प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस आदेश में यह भी कहा कि अक्सर पुलिस की दबिश के दौरान अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम के तहत पंजीबद्ध अपराध में होटल और ढाबों के संचालक पैसे लेकर अपने होटल और ढाबों के कमरों को वैश्यालय के रूप में चला रहे हैं। ऐसी स्थिति में, जब पुलिस दबिश देती है और सेक्स वर्कर को पकड़ा जाता है, तो कई बार उन्हें आरोपी बना दिया जाता है और गिरफ्तार कर लिया जाता है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।
सेक्स वर्कर को आरोपी न बनाना
प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि होटल या ढाबे में काम कर रही महिलाओं को सेक्स वर्कर के रूप में आरोपी न बनाया जाए। उन्होंने सभी SP को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सेक्स वर्कर को गिरफ्तार या परेशान न किया जाए, क्योंकि उनका स्वैच्छिक फिजिकल रिलेशन बनाना अवैध नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, महिला सेक्स वर्कर का उद्देश्य न केवल उनकी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करना है, बल्कि उन्हें इस काम के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए। केवल वैश्यालय चलाना अवैध है, और सेक्स वर्कर को कानूनी रूप से परेशान करने की कोई वजह नहीं है। इस आदेश से यह स्पष्ट होता है कि राज्य और पुलिस का मुख्य उद्देश्य महिला के अधिकारों की रक्षा करना है, न कि किसी महिला को शिकार या आरोपी बनाना।
समाज में बदलाव की जरूरत
महिला सुरक्षा की स्पेशल DG का यह आदेश महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त कई नकारात्मक धारणा और पूर्वाग्रह को बदलने की ओर एक सकारात्मक कदम है। यह कदम समाज को यह समझाने में मदद करेगा कि महिलाओं को उनके काम और जीवन के चुनाव में सम्मान के साथ देखा जाना चाहिए, चाहे वह कोई भी कार्य क्यों न कर रही हो।