नई दिल्ली, 29 मई 2025 —भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने देश की रक्षा तैयारियों और डिफेंस सिस्टम की कार्यप्रणाली को लेकर गुरुवार को एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में कोई भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं हो रहा है, और यह स्थिति चिंताजनक है। उनका यह बयान गुरुवार को आयोजित CII (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के एनुअल बिजनेस समिट में आया, जहां उन्होंने सिस्टम में मौजूद गंभीर खामियों की ओर इशारा किया।
“कोई भी प्रोजेक्ट समय पर पूरा नहीं होता”
अपने संबोधन में एयर चीफ मार्शल ने कहा, “ऐसा एक भी प्रोजेक्ट नहीं है, जो समय पर पूरा हुआ हो। यह सोचने वाली बात है कि हम ऐसा वादा क्यों करते हैं जिसे हम पूरा ही नहीं कर सकते।” उन्होंने बताया कि कई बार जब डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट साइन किए जाते हैं, तब ही यह स्पष्ट होता है कि वह डिलीवरी टाइमलाइन के भीतर पूरे नहीं हो पाएंगे, फिर भी उन्हें साइन कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया न केवल डिफेंस तैयारियों को प्रभावित करती है, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली को भी कमजोर बनाती है।
डिफेंस तैयारियों पर पड़ता है असर
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि समय पर डिफेंस प्रोजेक्ट पूरे न होने का सीधा असर भारत की ऑपरेशनल तैयारी पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि “टाइमलाइन एक बड़ा मुद्दा है। जब कोई हथियार प्रणाली या लड़ाकू विमान समय पर नहीं मिलता, तो उससे हमारी रणनीतिक क्षमताएं प्रभावित होती हैं।”
पहले भी उठा चुके हैं तेजस की डिलीवरी का मुद्दा
यह पहला मौका नहीं है जब एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने डिफेंस डिलीवरी सिस्टम पर सवाल उठाया हो। इससे पहले 8 जनवरी को भी उन्होंने स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर गहरी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने बताया था कि अब तक भारतीय वायुसेना को तेजस के 40 जेट नहीं मिल पाए हैं, जबकि चीन जैसे पड़ोसी देश लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहे हैं।
तेजस प्रोजेक्ट को भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। लेकिन इसकी धीमी डिलीवरी ने न केवल रणनीतिक संतुलन पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्वदेशी रक्षा निर्माण के प्रति भरोसे को भी चुनौती दी है।
सिस्टम में जवाबदेही की जरूरत
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि सिस्टम में सुधार के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही बेहद जरूरी है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब पहले से ही किसी प्रोजेक्ट की डिलीवरी तय समय पर नहीं होने वाली हो, तो ऐसे वादे क्यों किए जाते हैं। उन्होंने कहा, “हमें डिलीवरी और प्रोडक्शन सिस्टम को सुधारना होगा। वरना हम केवल कागजों पर ही योजनाएं बनाते रहेंगे और ज़मीन पर कुछ नहीं बदलेगा।”
प्राइवेट सेक्टर को भी बताया जिम्मेदार
अपने संबोधन में उन्होंने केवल सरकारी तंत्र पर ही नहीं, बल्कि प्राइवेट सेक्टर पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “सरकारी और निजी दोनों सेक्टर को एकजुट होकर काम करना होगा। डिफेंस एक ऐसा क्षेत्र है, जहां देरी का सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ता है। यह केवल बिजनेस का मामला नहीं है, यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।”
रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की चुनौती
भारत ने हाल के वर्षों में ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कई प्रयास किए हैं। लेकिन एयर चीफ मार्शल सिंह के बयान से साफ है कि इन प्रयासों को ज़मीनी हकीकत में बदलने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। जब तक प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं होंगे, तब तक आत्मनिर्भरता केवल एक नारा बनी रहेगी।