भोपाल: 10 तारीख गुजर गई, लेकिन लाड़ली बहनों के खाते में राशि नहीं आई है…इस माह की किस्त नहीं मिलने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर सीधा हमला बोला…उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना की किस्त को लेकर पहले बड़े-बड़े होर्डिंग देखने को मिलते थे, लिखा रहता था, “लाड़ली बहनों 10 तारीख आ रही है!” लेकिन, इस बार 10 तारीख को लाड़ली बहनों के खाते में पैसे ही नहीं आए! क्या कर्ज में कमी हो गई या सरकार की नीयत बदल गई? बता दें अब 16अप्रैल को सीएम डॉक्टर मोहन यादव लाड़ली बहनों के खाते में 22वीं किश्त ट्रांसफर करेंगे।

किस्त नहीं डालने पर जीतू का सरकार पर वार
विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई ‘लाड़ली बहना योजना‘ की इस महीने की किश्त अब तक लाभार्थी महिलाओं के खातों में नहीं पहुंची है। तय तिथि गुजर जाने के बाद भी राशि न आने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने योजना की विश्वसनीयता और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए प्रदेश सरकार को सोशल मीडिया पर घेरा। पटवारी ने लाभार्थियों की आयु सीमा घटाने और योजना की राशि 3000 करने की मांग भी दोहराई।

पहले बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर किया जाता था प्रचार
जीतू पटवारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए लिखा कि इस बार 10 तारीख को लाड़ली बहनों के खाते में पैसा नहीं आया, जबकि पहले बड़े-बड़े होर्डिंग लगाकर इस दिन का प्रचार किया जाता था। उन्होंने कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या सरकार की नीयत बदल गई है या फिर बजट की हालत खराब हो गई है? प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने विधानसभा में सरकार की ओर से प्रस्तुत आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अब तक 15,748 महिलाओं के नाम उनकी मृत्यु के बाद पोर्टल से हटाए जा चुके हैं। इसके अलावा, 60 वर्ष की उम्र पार कर चुकीं 3,19,991 महिलाओं के नाम भी योजना से बाहर कर दिए गए हैं।

लाड़ली बहनों को हक से किया जा रहा वंचित
पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मांग की है कि योजना की पात्रता की आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की जाए और अधिकतम आयु 60 की बजाय 65 वर्ष तय की जाए। साथ ही उन्होंने वादा पूरा करने की बात कहते हुए 3000 प्रतिमाह की राशि तत्काल लागू करने की मांग की। कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी पर वादा निभाने में नाकाम रहने का आरोप लगाया और कहा कि भाजपा ने केवल चुनाव के वक्त झूठे वादे किए थे, लेकिन अब बहनों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है।