तिरुपति मंदिर के प्रसाद यानी लड्डू में जानवरों की चर्बी और मछली के तेल पाए जाने की पुष्टि हुई है। जिसके बाद 21 सितंबर को कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने घी की आपूर्ति में इस्तेमाल किये जा रहे अपने वाहनों पर जीपीएस लगा दिया है। इसका फैसला बढ़ते लड्डू विवाद तो देखते हुए लिया गया है। जिससे मिलावट का पता लगाया जा सकेगा।
श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) में बनने वाले प्रसादम (लड्डूओं) में अब नंदिनी घी का इस्तेमाल किया जा रहा है। नंदिनी, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का लोकप्रिय ब्रांड है। विवाद के बीच एक महीने पहले ही तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को घी सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट दिया।

350 टन घी की आपूर्ति का कॉन्ट्रैक्ट
प्रसाद में मछली के तेल और जानवरों की चर्बी मिले के बाद बड़ा हंगामा हो गया। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने प्रसादम के लड्डुओं में मिलावट का दावा किया था। इसी के बाद प्रसाद की जांच की गई। अब इस मामले में एक्शन लेते हुए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने घी की आपूर्ति में इस्तेमाल की जा रही अपनी गाड़ियों पर जीपीएस लगाया है।

एक अधिकारी ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने अपने वाहनों पर एक जियो-पोजिशनिंग सिस्टम लगाया है। ये तिरुपति मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को घी की आपूर्ति करते हैं। केएमएफ के प्रबंध निदेशक एम के जगदीश ने कहा कि टीटीडी द्वारा एक महीने पहले केएमएफ को टेंडर दिए जाने के बाद नंदिनी घी की आपूर्ति बहाल कर दी गई थी। अब केएमएफ को 350 टन घी की आपूर्ति का ठेका मिला है।
नंदिनी घी का इतिहास
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन यानी केएमएफ एक डेयरी कोऑपरेटिव है। जिसकी स्थापना 1974 में हुई थी। ये नंदिनी ब्रांड नाम के तहत दूध, दही, घी, मक्खन, आइसक्रीम, चॉकलेट और मिठाई जैसे प्रोडक्ट्स बनाकर बेचता है। प्रसाद में मिलावट पर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा है कि उनका इस मिलावटी घी से कोई लेना-देना नहीं है। आपको बता दें कि ये पूरा मामला 18 सितंबर को शुरू हुआ। इस दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू ने इल्जाम लगाते हुए कहा कि तिरुपति के प्रसाद में जान