चौरईः चीचगांव हनुमान मंदिर में आज रामनवमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर पंडित गोपाल भार्गव के सानिध्य में रामकथा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण श्रीराम के जीवन के महान प्रसंगों को श्रद्धा और ध्यानपूर्वक सुन रहे हैं।
रामनवमी के इस पावन अवसर पर पूर्व विधायक पंडित रमेश दुबे भी शामिल हुए और उन्होंने भी इस खास दिन पर भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं का लाभ उठाया। इस आयोजन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्र हुए और भगवान श्रीराम की पूजा अर्चना की।
चीचगांव हनुमान मंदिर की विशेषता
चीचगांव हनुमान मंदिर की विशेष पहचान यहां स्थापित हनुमान जी की बाल मूर्ति के लिए है। यह मंदिर देशभर में हनुमान की बाल रूप में प्रतिष्ठित मूर्ति के कारण प्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्ष रामनवमी के दिन भक्तों की भारी भीड़ जुटती है और मंदिर का वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय हो जाता है। इस वर्ष भी मंदिर में भक्तों की उपस्थिति बहुत अधिक रही और मंदिर परिसर श्रद्धा और भक्ति से गूंज उठा।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में स्थानीय गणमान्य व्यक्ति जैसे ईश्वर सिंह पटेल ने भी शिरकत की। उन्होंने अपने संबोधन में इस धार्मिक आयोजन के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने भक्तों से आग्रह किया कि वे भगवान श्रीराम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाएं और उनके मार्गदर्शन में जीवन को बेहतर बनाएं।
रामनवमी: आस्था, एकता और भाईचारे का पर्व
रामनवमी का पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह समाज में एकता, भाईचारे और प्रेम का संदेश भी देता है। यह पर्व हर व्यक्ति को अपनी धार्मिक आस्था और विश्वास को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। इस अवसर पर लोग आपसी भेदभाव को छोड़कर एकजुट होते हैं और हर एक व्यक्ति के जीवन में श्रीराम की शिक्षाओं को आत्मसात करने का संकल्प लेते हैं।
रामकथा का महत्व
चीचगांव हनुमान मंदिर में आयोजित रामकथा के माध्यम से भक्तों को भगवान श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेने का अद्भुत अवसर मिला। रामकथा में पंडित गोपाल भार्गव ने श्रीराम के आदर्शों और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों को इस तरह से प्रस्तुत किया कि प्रत्येक श्रोता अपनी जीवनशैली में सुधार और भगवान श्रीराम के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
मंदिर परिसर में आज का वातावरण सचमुच भक्तिमय था और भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ रामजी की पूजा-अर्चना कर रहे थे। रामनवमी का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह समाज को जोड़ने और इंसानियत के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।