जय माता दी स्टोन क्रेशर ने ग्रामीणों की जिंदगी को असहनीय बना दिया है। यहां के लोगों को न तो प्रशासन की कोई सुध है और न ही क्रेशर संचालकों की कोई परवाह। लगातार जारी प्रदूषण और धूल के कारण ग्रामीणों की सेहत खराब हो रही है, लेकिन प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है।
धूल के गुबार ने छीन ली सांसें
ग्राम पंचायत ओढेरा में रहवासी एरिया गांव के भीतर क्रेशर का संचालन अनूपपुर के मुदित श्रीवास्तव के द्वारा किया जा रहा है सबसे हैरानी की बात तो यह है कि आखिर किसने रहवासी क्षेत्र में गांव के भीतर क्रेशर लगाने की अनुमति दी इस पूरे मामले में सिर्फ और सिर्फ ग्रामीणों की मुश्किलें दिनों दिन बढ़ती जा रही है चूंकि कई बार शिकायतों के बावजूद जिला प्रशासन अनूपपुर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल कोई इनकी सुनने को तैयार नही है।
गांव के आसपास लगे जय माता दी स्टोन क्रेशर से निकलने वाली धूल ने स्थानीय वातावरण को जहरीला बना दिया है। हर दिन हजारों की मात्रा में पत्थर क्रशिंग की वजह से निकलने वाला धूल का गुबार न केवल आसपास के खेतों और घरों को ढक देता है, बल्कि लोगों की सांस लेने की क्षमता को भी कम कर रहा है। बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं में सांस की गंभीर बीमारियां बढ़ने लगी हैं।
दरसल क्रेशर संचालक मुदित श्रीवास्तव ने पैसों के दम पर नियम कानून को ताक पर रख ग्रामीणों से झूँठ बोल कर 2015 में दस्तखत करवा लिए थे कि मैं इस जमीन पर बाउंड्री वाल का निर्माण करूँगा सीधे साधे आदिवासी इसके झांसे में आ गये और बाद में यही दस्तखत उनके लिए तब मुसीबत का पहाड़ बन कर टूटा जब मुदित श्रीवास्तव यहां पर क्रेशर बैठा कर ग्रामीणों को सौगात में मौत देनी शुरू कर दी,ग्रामीणों का आरोप है कि पीने के पानी से लेकर खाने में डस्ट शरीर के अंदर लेने को मजबूर है रात को दिन को जीतने वक्त मर्जी में आता है क्रेशर चलाया जाता है जिसकी वजह से जीना दुभर हो गया है

ग्रामीणों का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि जबसे यहां क्रेशर लगा है हमारी जमीने बंजर हो रही है और हम दाने दाने को मोहताज हो गये है क्रेशर से निकलने वाली डस्ट जमीन को बंजर बना रही है इन्ही जमीनों से इन गरीबो के घरों में चूल्हा जलता था पर जबसे यह क्रेशर लगा है जमीन जो अनाज के रूप में सोना उगल रही है आज बंजर हो चुकी है
प्रशासन ने क्यो की अनदेखी?
ग्रामीणों ने बार-बार प्रशासन को लिखित शिकायतें दी हैं, साथ ही धरने और प्रदर्शन भी किए हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन और अधिकारी समस्या को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं। कई बार अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि स्टोन क्रेशर अपनी मनमानी करते रहे और ग्रामीणों का जीवन जहरीला होता गया।

ग्रामीणों का भरोसा
प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं से त्रस्त ग्रामीण अब केवल भगवान भरोसे ही रह गए हैं। वे आशा करते हैं कि जल्द ही उनकी आवाज़ सुनी जाएगी और जय माता दी स्टोन क्रेशर की अनियंत्रित गतिविधि पर अंकुश लगेगा। वे चाहते हैं कि प्रशासन उनके स्वास्थ्य और जीवन को प्राथमिकता दे।जय माता दी स्टोन क्रेशर द्वारा उत्पन्न प्रदूषण और स्वास्थ्य संकट ग्रामीणों की जिंदगी पर भारी पड़ रहा है। प्रशासन की निष्क्रियता से समस्या और गंभीर होती जा रही है। अब ग्रामीणों की आशा है कि सरकार और प्रशासन उनकी समस्याओं पर संजीदगी से ध्यान देंगे और उचित कदम उठाएंगे ताकि उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हो सके।