लोगों का हक छीनने और शोषण करने के लिए आपको नहीं बनाया कलेक्टर’, 25 हजार की कास्ट लगाते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को दी नसीहत. मामला एक किसान की जमीन अधिग्रहण से जुड़ा था.
1993 में किया गया था जमीन
अधिग्रहणएडवोकेट राजेंद्र सिंहने बताया कि “दरअसल रीवा के मामूली किसान राजेश कुमार तिवारी से जुड़ा हुआ है. राजेश कुमार तिवारी रीवा शहर के पास रहते हैं. इनके पास लगभग सवा एकड़ जमीन है और इसी जमीन से इनकी गुजर बसर होती है. 1993 में हाउसिंग बोर्ड ने एक घोषणा की कि वह राजेश तिवारी की जमीन पर एक कॉलोनी बनाने जा रही है और उनकी जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया. राजेश तिवारी को यह बात ना तो हाउसिंग बोर्ड ने बताई और ना ही राजस्व का कोई भी अधिकारी उनके पास आया. यहां तक की जमीन मालिक राजेश कुमार तिवारी को कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया.”
किसान ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका
हाउसिंग बोर्ड के नोटिस के बाद राजेश तिवारी ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की. उन्होंने हाई कोर्ट में अपील की कि उन्हें अपनी जमीन से बेदखल ना किया जाए. हाई कोर्ट ने राजेश तिवारी के पक्ष में अंतरिम फैसला देते हुए कहा कि जब तक इस मामले का अंतिम फैसला नहीं हो जाता तब तक राजेश तिवारी को उनकी जमीन से बेदखल नहीं किया जाएगा.2015 से 2023 तक सुनवाई2015 से 2023 तक यह मुकदमा चलता रहा. हाउसिंग बोर्ड ने भी जवाब दे दिया लेकिन राजस्व विभाग की ओर से कोई जवाब नहीं आया. एडवोकेट राजेंद्र सिंह का कहना है कि जमीन के अधिग्रहण का काम राजस्व विभाग का होता है इसलिए राजस्व विभाग ने जमीन के अधिग्रहण में क्या कार्रवाई की कितना मुआवजा दिया यह जानकारी हाई कोर्ट ने मांगी लेकिन रीवा कलेक्टर यह जानकारी देने में असमर्थ रहे. इसलिए तत्कालीन कलेक्टर के खिलाफ ₹10000 की कास्ट भी लगाई गई