Lok Sabha Election 2024: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव 2024 की सियासी लड़ाई शुरू हो गई है. यहां सभी 11 सीटों पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. जहां एक ओर पीएम नरेंद्र मोदी अपनी गारंटी की बात करते हैं तो वहीं कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 5 वादे दिए हैं. अब देखना ये है कि छत्तीसगढ़ में किस पार्टी को कितनी सीट मिलती हैं. आइए जानते हैं कांग्रेस और बीजेपी ने किसे कहां से मैदान में उतारा है आखिर वहां का सियासी समीकरण क्या कहता है?
दुर्ग में विजय बघेल का मुकाबला राजेन्द्र साहू से
वर्तमान में दुर्ग लोकसभा की सीट भाजपा के खाते में है. यहां से पार्टी ने अपने वर्तमान सांसद विजय बघेल को दोबारा मौका दिया है. बघेल ने विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि वो चुनाव हार गए थे. उनका मुकाबला कांग्रेस के राजेन्द्र साहू से है. इस सीट पर ओबीसी वर्ग का दबदबा रहता है. इस वजह से सामान्य सीट से कांग्रेस-भाजपा दोनों ने ओबीसी वर्ग को मौका दिया है. साहू पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं.
हॉट सीट राजनांदगाव पूर्व सीएम भूपेश बघेल के सामने संतोष पाण्डेय
लोकसभा की सीट पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चुनाव लड़ने से चर्चा में आ गई है. यहां उनका सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व सांसद संतोष पाण्डेय से है. कांग्रेस में आपसी बगावत की वजह से यहां भूपेश की मुश्किलें थोड़ी बढ़ी हुई है. हालांकि भूपेश पिछड़ा वर्ग से आते हैं. चुनाव में इसका फायदा मिल सकता है. वहीं पाण्डेय का चेहरा हिंदूवादी है. इसी वजह से पार्टी ने उन्हें दोबारा मौका दिया है. वे आरएसएस पृष्ठभूमि से आते हैं. भाजपा संगठन में भी बड़ी जिम्मेदारी निभाई हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के करीबी है.
रायपुर लोकसभा सीट पर बृजमोहन अग्रवाल बनाम विकास उपाध्याय
रायपुर लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है. पिछले आठ चुनाव से यह सीट भाजपा के पास है. इस बार पार्टी ने अपने कद्दावर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को चुनाव मैदान में उतरा है. वे लगातार आठ बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस के युवा चेहरे विकास उपाध्याय के साथ होगा. इस बार बृजमोहन सबसे अधिक वोटों से लोकसभा चुनाव जीतने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. वहीं उपाध्याय अपने मैनेजमेंट सिस्टम को आगे रखकर चुनाव लड़ रहे हैं. नारी न्याय गारंटी को लेकर महिलाओं के बीच जा रहे हैं. बता दें कि लंबे समय बाद रायपुर लोकसभा सीट से कोई सामान्य वर्ग का उम्मीदवार सांसद चुना जाएगा. इसके पहले पिछले सात चुनाव से रमेश बैस और पिछला चुनाव सुनील सोनी ने जीता था. दोनों पिछड़ा वर्ग से आते हैं.
कोरबा में सरोज पाण्डेय के सामने होगीं ज्योत्सना महंत
यह सीट 2008 के बाद अस्तित्व में आई थीं. यहां से भाजपा ने राज्यसभा सांसद और महाराष्ट्र की पूर्व प्रभारी सरोज पाण्डेय को चुनाव मैदान में उतारा है. उनका सीधा मुकाबला सांसद ज्योत्सना महंत से है. वो नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत की धर्मपत्नी है. (cg congress party) क्षेत्र में दोनों प्रत्याशियों को लेकर थोड़ी नाराजगी है. पाण्डेय पर बाहरी प्रत्याशी का लेबल लगा है. उनकी कर्मभूमि दुर्ग लोकसभा क्षेत्र रहा है. जबकि महंत के खिलाफ एंटी इनकम्बेंसी का माहौल है.
बस्तर में फिर कवासी लखमा सामने महेश कश्यप देगें चुनौती
लोकसभा सीट में नक्सल समस्या गंभीर है. इसलिए पहले चरण में सुरक्षा के लिहाज से सिर्फ बस्तर में मतदान होगा. यहां कांग्रेस ने अपने वर्तमान सांसद दीपक बैज की टिकट काटकर पूर्व आबकारी मंत्री व विधायक कवासी लखमा को मौका दिया है. कवासी कभी अपना चुनाव नहीं हारे हैं. वे कोंटा विधानसभा सीट से विधायक रहते आए हैं. उनका मुकाबला भाजपा के महेश कश्यप से होगा. यहां विकास के कामों के अलावा धर्मांतरण भी बड़ा मुद्दा है.
कांकेर लोकसभा सीट में भोजराज नाग और बीरेश ठाकुर मैदान में
इस लोकसभा सीट पर धर्मांतरण बड़ा मुद्दा है. इस वजह से भाजपा ने अपने पूर्व विधायक भोजराज नाग को प्रत्याशी बनाया है. उनका मुकाबला कांगेस के बीरेश ठाकुर से होगा. पिछला लोकसभा चुनाव में ठाकुर का प्रदर्शन ठीक था. वो लगभग छह हजार वोटों से हार गए थे. प्रदेश में भाजपा की यह सबसे कम वोटों से जीत थी.
महासमुंद में रूपकुमारी चौधरी और ताम्रध्वज साहू के बीच मुकाबला
लोकसभा सीट में जातिगत समीकरण हमेशा से हावी रहा है. कई चुनाव से कांग्रेस-भाजपा दोनों यहां से साहू समाज के प्रत्याशी को मौका देते आए है. इस बार भाजपा ने पूर्व विधायक रूप कुमारी चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने जातिगत समीकरण साधने के लिए पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को मौका दिया है. साहू दुर्ग ग्रामीण से विधानसभा चुनाव हार गए थे. बाहरी प्रत्याशी को मौका देने पर थोड़ी नाराजगी है. हालांकि साहू समाज एकजुट हो रहा है.
सरगुजा में चिंतामणि महाराज VS शशि सिंह
लोकसभा सीट में भाजपा ने हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदला और सीट जीतने में कामयाबी हासिल की है. इस बार इस सीट से पूर्व विधायक चिंतामणि महाराज को टिकट मिला है. कांग्रेस ने अपनी युवा नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को मैदान में उतारा है. चिंतामणि महाराज पहले कांग्रेस विधायक रहे हैं.
रायगढ़ में राधेश्याम राठिया VS मेनका देवी सिंह
भाजपा ने नये चेहरे राधेश्याम राठिया, जबकि कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह पर भरोसा दिखाया है. सिंह राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पूर्व सारंगढ़ शाही परिवार से हैं. इस सीट पर भी सभी की नजर है. यहां से वर्तमान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी सांसद रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है.
जांजगीर-चांपा में कमलेश जांगड़े VS शिवकुमार डहरिया
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर भाजपा ने गुहाराम अजगले की टिकट काट कर नए चेहरे कमलेश जांगड़े पर दांव खेला है. यहां भी कांग्रेस ने जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए पूर्व मंत्री डॉ.शिवकुमार डहरिया को प्रत्याशी बनाया है. डहरिया भी बाहरी प्रत्याशी है. इस वजह से क्षेत्र में थोड़ी नाराजगी है.
बिलासपुर में दिखेगा बीजेपी VS कांग्रेस का मुकाबला
लोकसभा सीट ओबीसी बाहुल्य सीट है. यहां के सांसद रहे अरुण साव अब डिप्टी सीएम है. उनकी जगह भाजपा ने तोखन साहू को मौका दिया है. यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के युवा चेहरे देवेन्द्र यादव से है. यादव भिलाई के विधायक हैं. वो स्थानीय नहीं है, इस वजह से क्षेत्र में असंतोष है. टिकट वितरण के बाद कांग्रेस के एक नेता आमरण अनशन पर बैठ गए थे. हालांकि उनकी टीम मजबूत है. भिलाई में देवेन्द्र ने भाजपा के दिग्गज नेता प्रेमप्रकाश पाण्डेय को हराया था. वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी है. साथ ही ईडी के निशाने पर भी है.