हाई कोर्ट ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग से पूछा है कि पूर्व आदेश के पालन में सामान्य वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग के उन 13 प्रतिशत चयनित उम्मीदवारों की सूची क्यों नहीं पेश की गई, जिनका परिणाम होल्ड कर लिया गया था। इस रवैये पर सख्त नाराजगी जताते हुए मंगलवार को न्यायमूर्ति राजमोहन सिंह व न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ ने राज्य शासन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
सरकार को अंतिम अवसर
हाई कोर्ट ने अपनी बेहद तल्ख टिप्पणी में कहा कि राज्य सरकार इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रही है और उसका रवैया बहुत ही निराशाजनक है। लिहाजा, सरकार को अंतिम अवसर देते हुए निर्देशित किया जाता है कि 31 अगस्त के पहले हर हाल में सूची पेश कर दी जाए। यदि सरकार चाहे तो जिम्मेदार अधिकारियों से जुर्माने की राशि वसूल सकती है।
यह है मामला
यह मामला पीएससी-2019, 2020 व 2021 की परीक्षा से जुड़ा है। याचिका के माध्यम से मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा अपनाए जा रहे 87:13 फार्मूले को चुनौती दी गई है। विगत सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने दोनों वर्ग के होल्ड किए गए उम्मीदवारों की सूची पेश करने कहा था।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि किसी नियुक्ति पाने वाले उम्मीदवार के होल्ड किए गए अभ्यर्थियों से कम अंक हैं, तो उनकी सूची भी पेश करें। याचिकाकर्ताओं की मेरिट रैंकिग का भी खुलासा करने कहा गया था।