पांव-पाव वाले भैया… बहनों के भाई और प्रदेश की बेटियों के मामा… जमीन से जुड़े नेता और 18 साल से मध्यप्रदेश की गद्दी पर काबिज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या अब प्रदेश की राजनीति से खुद ही किनारे होने वाले हैं… या फिर बीजेपी आलाकमान उन्हें साइडलाइन करने की कोशिश में है…? सियासी गलियारों में ये सवाल तेजी से गूंज रहा है… और तो और सीएम शिवराज के हालिया बयान इन सवालों को और ज्यादा हवा दे रहे हैं…अब से करीब 50 दिन बाद मध्यप्रदेश की जनता अगले 5 सालों के लिए नई सरकार चुन लेगी… सीएम शिवराज एक बार फिर अपनी पार्टी को सत्ता के शिखर पर पहुंचाएंगे या कमलनाथ दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे ये तो वक्त ही बताएगा… लेकिन इससे पहले उनके दिए ये बयान बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी के करीब ले जाने का काम जरूर कर रहे हैं…
शिवराज का पहला बयान: चला जाऊंगा, तब याद आऊंगा
शुक्रवार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डिंडौरी में चरण पादुका कार्यक्रम में पहुंचे। जनता को संबोधित करने के दौरान शिवराज ने वहां मौजूद भीड़ से अचानक ऐसा सवाल पूछ लिया जिससे सभी हैरान रह गए। शिवराज ने कहा- हमारी अभियान जनता की जिंदगी बदलने का अभियान है। आज आप से पूछ रहा हूं। मुझे दिल से ईमानदारी से बताना। मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं कि बुरी सरकार चला रहा हूं? तो ये सरकार आगे चलनी चाहिए कि नहीं?
शिवराज का दूसरा बयान: मामा को मुख्यमंत्री बनना चाहिए कि नहीं?
शुक्रवार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान डिंडौरी में चरण पादुका कार्यक्रम में पहुंचे। जनता को संबोधित करने के दौरान शिवराज ने वहां मौजूद भीड़ से अचानक ऐसा सवाल पूछ लिया जिससे सभी हैरान रह गए। शिवराज ने कहा- हमारी अभियान जनता की जिंदगी बदलने का अभियान है। आज आप से पूछ रहा हूं। मुझे दिल से ईमानदारी से बताना। मैं कैसी सरकार चला रहा हूं? अच्छी सरकार चला रहा हूं कि बुरी सरकार चला रहा हूं? तो ये सरकार आगे चलनी चाहिए कि नहीं?
किस नेता को मिल सकती है शिवराज की जगह?
अब इन बयानों के पीछे बीजेपी की कोई स्ट्रेटजी है या फिर वाकई में 18 सालों से प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाल रहे शिवराज की जगह पार्टी को कोई बेहतर कैंडिडेट मिल गया है?सियासी जानकारों की मानें तो केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव लड़ाकर बीजेपी एमपी में नया सीएम फेस खोजना चाहती है। बीजेपी में कई ऐसे दावेदार हैं जो कई सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने का ख्वाब देख रहे हैं। जिन्हें लेकर सियासी जगत में जमकर अटकलें लगाई जाती है।
नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री
आपको तीन कृषि कानून याद हैं, बिल्कुल याद ही होंगे। क्योंकि इन कानूनों की वजह से पहली बार मोदी सरकार बैकफुट पर आई थी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर भी कई सवाल उठाए गए थे। लेकिन पीएम मोदी से नजदीकी का फायदा उन्हें मिला और वो आज तक इसी पद पर बने हुए हैं। चंबल के बड़े बीजेपी नेता माने जाने वाले तोमर को पार्टी ने दिमनी विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है। अगर बीजेपी ये चुनाव जीतती है तो शिवराज के बाद मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे पहला नाम नरेंद्र सिंह तोमर का ही है।
कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय महासचिव
पिछले कई सालों से प्रदेश की राजनीति से दूर रहकर पश्चिम बंगाल की बागडोर संभालने वाले बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय इस विधानसभा चुनाव में खुद ही प्रत्याशी हैं। उन्हें पार्टी ने इंदौर सीट से टिकट दिया है, उनके टिकट की घोषणा होने के बाद उनका एक बयान भी जमकर वायरल हुआ था। जिसमें विजयवर्गीय ये कहते नजर आए थे कि उनकी चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी। हालांकि मुख्यमंत्री की रेस में कैलाश विजयवर्गीय का नाम पर भी विचार जरूर किया जाएगा।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय मंत्री
कमलनाथ सरकार गिराकर एक बार फिर शिवराज को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने में ज्योतिरादित्य सिंधिया का ही हाथ था। अपने समर्थक मंत्री और विधायकों के साथ पार्टी छोड़ने पर बीजेपी ने उन्हें केंद्रीय मंत्री भी बनाया और राज्यसभा सांसद भी… हाल ही में उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की खबरों ने भी जमकर जोर पकड़ा था। सिंधिया समर्थक कई बार उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर चुके हैं। कहा तो ये भी जाता है कि अगर कांग्रेस सिंधिया को सीएम बनाती तो वो कभी पार्टी नहीं छोड़ते।