सरकार गिरी तब भी रहे साथ
2020 में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई तब सूबे में सिर्फ दो ही दिग्गज नेता बचे थे। एक थे कमलनाथ तो दूसरे दिग्विजय सिंह…!
सियासी जानकारों की मानें तो सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस पूरी तरह बिखर गई थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में दिग्गी-नाथ और सिंधिया की तिकड़ी ने जो शिवराज का जादुई तिलिस्म तोड़ा था वो जोड़ी टूट चुकी थी। ऐसे मुश्किल वक्त में जहां बीजेपी फुल कॉन्फिडेंस में थी तो वहीं कांग्रेस अपने टूटे हुए टुकड़ों को जोड़ने में लगी थी।

साथ मिलकर ऐसे किया कांग्रेस को मजबूत-
2020 के उपचुनाव में करारी शिकस्त झेलने के बाद दिग्विजय-कमलनाथ के सियासी भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। उस वक्त बीजेपी के साथ-साथ कई लोग ये मान बैठे थे कि मध्यप्रदेश की सत्ता में अब कांग्रेस की वापसी नामुमकिन है। हालांकि उधर दिग्विजय-कमलनाथ बीजेपी को इस एडवांटेज का फायदा देने के मूड में नहीं थे। दिग्विजय ने प्रदेश के लगातार दौरे कर कांग्रेस संगठन को एकजुट और मजबूत किया तो वहीं कमलनाथ भोपाल से लगातार बीजेपी और शिवराज सरकार पर कटाक्ष करते रहे और कांग्रेस को 2023 विधानसभा चुनाव के गेम में वापस ला दिया।

40 साल पुराने रिश्तों पर क्या जम गई बर्फ?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के संगठन को मुकाबले में लाकर खड़ा करने वाले दिग्विजय-कमलनाथ के बीच सबकुछ ठीक है? या दशकों पुराने इस मजबूत रिश्ते की अब एक्सपायरी डेट आ चुकी है? पिछले 48 घंटों से ये सवाल सियासी गलियारों में जमकर पूछा जा रहा है। इन सवालों के पीछे की वजह है सोमवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ एक वीडियो। इसमें पूर्व मख्यमंत्री कमलनाथ कुछ कांग्रेसी नेताओं को नसीहत देते हुए कह रहे हैं कि-यहां गदर मत मचाइए, जाकर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़िए। इसके अगले ही दिन जब कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता घोषणा पत्र जारी करने मंच पर जमा हुए तो कमलनाथ ने इस वायरल वीडियो को लेकर अपनी सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि गाली खाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी उन्होंने दिग्विजय सिंह को दे रखी है, जो अभी तक वैलिड है। इस दौरान दिग्विजय सिंह ने भी कमल नाथ को खरी-खरी सुना दी थी। इस नोंकझोंक के बाद दोनों के बीच अनबन की खबरें तमाम बड़े चैनलों की हैडिंग और हेडलाइन बन गई।

बीजेपी को मिल गई फ्री हिट-
अब कांग्रेस खुद मौका दे और बीजेपी इसे गंवा दे, कैसे मुमकिन है। कांग्रेस में मची इस जूतमपैजार पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कांग्रेस पर तीखा तंज कसा। सीएम शिवराज ने दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह के पास सिर्फ गाली खाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी नहीं है, कमलनाथ ने तो साल 2018 में सरकार चलाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी दिग्विजय सिंह को ही दे रखी थी। अद्भुत है कांग्रेस और धन्य हैं इसके नेता, जो गालियां खाने की पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी देते हैं। शिवराज ने कहा कि- कमल नाथ ऐसा काम ही क्यों करते हो कि गाली खाना पड़े। अगर गाली खाना पड़े तो खुद न खाएं दूसरे को पॉवर अटॉर्नी दे दें।

बहरहाल, राजनीति में रिश्तों के कोई मायने नहीं होते। नेता और ऊंट कब किस करवट बैठ जाए इसका अंदाजा तो खुद उन्हें नहीं होता। मध्यप्रदेश के इस चुनावी समर में आपको कई बार इस तरह की दिलचस्प खबरें दिखना आम बात होगी।