सीहोर, मध्यप्रदेश: कभी-कभी माता-पिता द्वारा बच्चों को खुश करने की छोटी-सी कोशिश भी जीवनभर का पछतावा बन सकती है। मध्यप्रदेश के सीहोर जिले से सामने आया एक दिल दहला देने वाला मामला हर उस माता-पिता के लिए चेतावनी है जो अपने बच्चों को लाड़-प्यार में कोई भी चीज खाने को दे देते हैं, बिना यह सोचे कि वह चीज बच्चे की उम्र और सुरक्षा के लिहाज से उचित है या नहीं।
घटना सीहोर के जहांगीरपुर गांव की है, जहां डेढ़ साल के मासूम आयुष लोधी की जान एक छोटी सी जेली ने ले ली। आयुष के परिजनों ने उसे जेली खाने को दी थी, लेकिन यह जेली उसके लिए मिठास नहीं, मौत बनकर आई। जेली गले में फंस गई और दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई।
लाड़-प्यार बना जानलेवा
आयुष लोधी अपने माता-पिता करण सिंह लोधी और उनके परिवार का इकलौता बेटा था। पूरा परिवार उससे बेहद प्यार करता था। डेढ़ साल का आयुष हर किसी का दुलारा था। मंगलवार की दोपहर आयुष खेल रहा था, तभी परिवार ने उसे खुश करने के लिए जेली खाने को दी।
आयुष ने जैसे ही जेली खानी शुरू की, अचानक वह खांसने लगा और फिर जोर-जोर से सांस लेने की कोशिश करने लगा। पहले तो परिजन समझ ही नहीं पाए कि क्या हो रहा है, लेकिन जब आयुष की सांसें अटकने लगीं और उसका शरीर नीला पड़ने लगा, तो तुरंत उसे लेकर सीहोर जिला अस्पताल भागे।
अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो चुकी थी मौत
परिजनों ने आयुष को अस्पताल पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन दुर्भाग्यवश, अस्पताल में पहुंचते ही डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया। परिजनों के अनुसार, यह सब कुछ ही मिनटों में घटित हो गया।
डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि जेली आयुष के गले में फंस गई थी, जिससे उसका दम घुट गया और कुछ ही पलों में उसकी मौत हो गई। यह घटना पूरे गांव में मातम का माहौल पैदा कर गई है।
सिविल सर्जन की चेतावनी: 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खतरा
इस गंभीर हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए सीहोर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. प्रवीर गुप्ता ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया,
“छोटे बच्चों की निगलने की प्रक्रिया पूरी तरह विकसित नहीं होती। खासकर 3 साल से कम उम्र के बच्चों को गोल, चिपचिपी, सख्त या फिसलन भरी चीजें देना खतरनाक हो सकता है। ये वस्तुएं गले में फंस सकती हैं और दम घुटने का कारण बन सकती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि माता-पिता को बच्चों के आहार में हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए। जो चीजें वयस्कों के लिए सामान्य हैं, वे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।
एक हादसा, अनेक सवाल
यह हादसा सिर्फ एक दुखद समाचार नहीं, बल्कि कई अहम सवाल खड़े करता है:
क्या अभिभावक बच्चों को कुछ भी खिलाने से पहले उसकी उम्र और सुरक्षा को समझते हैं?
क्या बच्चों के खिलौनों, खाने की चीजों और पैकेजिंग पर पर्याप्त चेतावनी दी जाती है?
क्या स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा संस्थाएं माता-पिता को इस तरह की जानकारी समय रहते प्रदान कर पा रही हैं?
जेली जैसे उत्पाद बच्चों के लिए कितना सुरक्षित?
जेली, लॉलीपॉप, कैंडी और इसी तरह की चिपचिपी मिठाइयां अक्सर बच्चों को खुश करने के लिए दी जाती हैं। लेकिन इनमें से कई उत्पाद छोटे बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, क्योंकि:
ये गले में फंस सकते हैं
निगलने में कठिन होते हैं
बच्चे इन्हें चबाने के बजाय सीधे निगलने की कोशिश करते हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को ऐसी वस्तुएं देना पूरी तरह टालना चाहिए।
परिवार सदमे में, गांव में मातम
आयुष की मौत से लोधी परिवार पूरी तरह सदमे में है। गांव में मातम पसरा हुआ है। जिस घर में अभी कुछ दिन पहले तक किलकारियां गूंज रही थीं, वहां अब सन्नाटा है। माता-पिता की आंखों से आंसू थम नहीं रहे। वे बार-बार यही कह रहे हैं—”काश हमने उसे वो जेली न दी होती…”
क्या कहता है कानून और चिकित्सा प्रोटोकॉल?
हालांकि इस घटना में कोई अपराध नहीं माना गया, लेकिन डॉक्टर और विशेषज्ञ इस मामले को “नेग्लिजेंस विद लव” (लापरवाही भरा प्यार) की श्रेणी में रखते हैं। कुछ देशों में ऐसे मामलों में अभिभावकों को काउंसलिंग दी जाती है और छोटे बच्चों की देखभाल से जुड़ी ट्रेनिंग भी करवाई जाती है।
सावधानी ही सुरक्षा है – जागरूक रहें, सतर्क रहें
यह दुखद घटना हमें यह याद दिलाती है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। हर माता-पिता को चाहिए कि:
3 साल से छोटे बच्चों को चिपचिपी या गोल आकार की चीजें न दें
बच्चे जब कुछ खा रहे हों तो हमेशा निगरानी रखें
किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मेडिकल हेल्प लें