केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पीएम Narendra Modi की अध्यक्षता में अंतरिक्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों सहित ‘वीनस ऑर्बिटर मिशन (Venus Orbiter Mission) को मंजूरी दी। इस मिशन में मंगलयान की तरह शुक्र ग्रह पर भी एक ऑर्बिटर भेजा जाएगा, जो उसके वायुमंडल, तापमान, सतह और मौसम आदि की स्टडी करेगा।
चंद्रमा और मंगल के बाद भारत के वैज्ञानिकों की नजर अब शुक्र के लक्ष्य पर है। यह चंद्रमा और मंगल से परे शुक्र ग्रह की खोज और अध्ययन के सरकार के दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

शुक्र ग्रह पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है और माना जाता है कि इसका निर्माण पृथ्वी के समान परिस्थितियों में हुआ था, यह समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है कि ग्रहों का वातावरण किस तरह से बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है।
(Venus Orbiter Mission) में एक खास स्पेसक्राफ्ट तैयार किया जाएगा जो सिर्फ शुक्र ग्रह की स्टडी के लिए उसके चारों तरफ चक्कर लगाएगा. ताकि शुक्र ग्रह की सतह, उप-सतह, वायुमंडल, सूरज का प्रभाव आदि समझ सके. कहा जाता है कि एक समय शुक्र ग्रह रहने लायक ग्रह था लेकिन फिर वह बदल गया. इस बदलाव की भी स्टडी की जाएगी.

28 में लॉन्चिंग नहीं हुई तो 2031 में बेहतरीन लॉन्च विंडो मिलेगा. शुक्रयान ऑर्बिटर मिशन है. यानी स्पेसक्राफ्ट शुक्र के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए स्टडी करेगा. इसमें कई साइंटिफिक पेलोड्स होंगे. लेकिन सबसे जरूरी दो पेलोड्स हैं- हाई रेजोल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार और ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार होंगे.
क्या है Venus Orbiter Mission का काम ?

वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) का उद्देश्य वैज्ञानिक अन्वेषण करना, शुक्र ग्रह के वायुमंडल, भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझना तथा इसके घने वायुमंडल की जांच करके बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक आंकड़े जुटाना है।