दिल्ली: मार्च 2025 में थोक महंगाई दर (WPI) घटकर 2.05% हो गई है, जो बीते चार महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले फरवरी में यह 2.38% थी। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के 15 अप्रैल को जारी आंकड़ों के मुताबिक, रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम घटने से महंगाई में यह गिरावट दर्ज की गई है।
मार्च में थोक महंगाई दर में गिरावट
मार्च में थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है, जो आम जनता के लिए राहत की खबर है। यह दर फरवरी के 2.38% से घटकर 2.05% पर आ गई है। नवंबर 2024 के बाद यह सबसे कम महंगाई दर है, जब यह 1.89% रही थी। महंगाई में यह गिरावट मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों और रोजमर्रा के सामान के दाम कम होने की वजह से आई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, थोक महंगाई में सबसे बड़ा योगदान मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का होता है, जिसकी हिस्सेदारी 63.75% है। इसके बाद प्राइमरी आर्टिकल्स (22.62%) और फ्यूल एंड पावर (13.15%) का स्थान आता है।

क्या-क्या सस्ता हुआ:
- रोजमर्रा के जरूरी सामानों की महंगाई दर 2.81% से घटकर 0.76% पर आ गई।
- खाने-पीने की चीजों की महंगाई 5.94% से घटकर 4.66% हो गई।
- फ्यूल और पावर की महंगाई –0.71% से बढ़कर 0.20% रही।
- मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई 2.86% से बढ़कर 3.07% पर पहुंची।
WPI का आम जनता पर असर
थोक महंगाई दर लंबे समय तक ज्यादा बनी रहने पर इसका असर प्रोडक्टिव सेक्टर पर पड़ता है। कंपनियां बढ़ी हुई लागत का बोझ ग्राहकों पर डालती हैं जिससे रिटेल महंगाई भी बढ़ती है। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती जैसे उपायों से WPI को कुछ हद तक नियंत्रित करने की कोशिश करती है।

महंगाई कैसे मापी जाती है:
भारत में दो तरह की महंगाई दर होती है:
- रिटेल महंगाई (CPI): यह ग्राहकों द्वारा खुदरा स्तर पर दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है।
- थोक महंगाई (WPI): यह उस कीमत को दिखाती है जो एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से थोक में सामान खरीदते वक्त चुकाता है।
थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स, फूड आइटम्स, फ्यूल, और मिनरल्स जैसे आइटम्स शामिल होते हैं। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड, हाउसिंग, ट्रांसपोर्ट और अन्य सर्विसेज को शामिल किया जाता है।
आने वाले महीनों में मिल सकती है और राहत
मार्च में थोक महंगाई दर का घटकर 2.05% पर आना इस बात का संकेत है कि सप्लाई चेन में सुधार और मांग की स्थिति स्थिर हो रही है। अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो आम उपभोक्ताओं को आने वाले महीनों में और राहत मिल सकती है।