दमोह जिले से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां मिशन अस्पताल में सात ह्रदय रोगियों की मौत हो गई। ये मौतें जनवरी और फरवरी महीने के दौरान हुईं। मरीजों के परिजनों और ग्रामीणों का आरोप है कि इन मौतों के पीछे अस्पताल में पदस्थ एक डॉक्टर का हाथ है, जिनकी डिग्री पर भी सवाल उठ रहे हैं।
डॉक्टर की डिग्री फर्जी, क्या इन मौतों के लिए वह जिम्मेदार हैं?
इन मौतों के बाद से मिशन अस्पताल के डॉक्टर एनजॉन केम उर्फ नरेंद्र यादव पर आरोप लग रहे हैं कि उनकी डिग्री फर्जी है ..आरोप है कि डॉक्टर ने कई सर्जरी कीं, जिनके बाद कुछ ही दिनों में इन मरीजों की मौत हो गई। मृतकों के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर की डिग्री की जांच होनी चाहिए, क्योंकि इस प्रकार की मौतों के पीछे उनका गलत इलाज जिम्मेदार हो सकता है।
प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं
इस मामले में प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कलेक्टर ने कहा है कि जांच जारी है, लेकिन अब तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। मृतकों के परिवार वाले और स्थानीय जनता सवाल उठा रही है कि सात लोगों की मौत होने के बाद भी प्रशासन सिर्फ आश्वासन दे रहा है और कोई वास्तविक कदम नहीं उठा रहा है। इस पर अब राजनीतिक हलचल भी बढ़ गई है।
राजनीतिक हमलावर, कांग्रेस ने सरकार को घेरा
कांग्रेस पार्टी ने इस मामले को लेकर सरकार पर हमला बोला है। पार्टी ने कहा है कि यह घटना सरकार की प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है और आरोपियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। कांग्रेस नेता इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
मानवाधिकार आयोग ने शुरू की जांच, प्रियंक कानूनगो ने दी जानकारी
इस मामले में अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने भी हस्तक्षेप किया है। NHRC के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर बताया कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने जांच दल गठित किया है। यह दल 7 से 9 अप्रैल तक इस मामले की जांच करेगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन मौतों का असली कारण क्या था और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही या गलत इलाज तो नहीं हुआ।