MP News: भारत को आजाद हुए भले ही 77 वर्ष बीत गए हैं लेकिन कई जगह जातिवाद और छुआछूत से छुटकारा नहीं मिला सका। ऐसे ही बुंदेलखंड के क्षेत्र टीकमगढ़ में आज भी छुआछूत और जातिवाद की परंपरा कायम है। यहां तक कि इस गांव में पानी का बंटवारा भी जातिवाद के आधार पर होता है।
अलग अलग जातियों के लिए बने हैं कुआं
टीकमगढ़ के सुजानपुरा गांव में आज भी जातिवाद और छुआछूत की परंपरा कायम है। इतना ही नहीं इस गांव में जाति के आधार पर पानी का बटवारा किया जाता है। इस गांव में अलग-अलग जातियों के तीन कुएं बने हुए हैं जहां लोग अपने-अपने कों से ही पानी भरते है एक दूसरे के कुआं पर कोई पानी भरने नहीं जाता। यहां के जिम्मेदार अधिकारी और जनप्रतिनिधियों पर कोई असर भी नहीं हुआ है। गॉव में बने एक ही परिसर में तीन हुए इस बात को साफ करते हैं कि यहां जातिवाद की परंपरा सैकड़ो सालों से कायम है और यही परंपरा अभी भी चली आ रही है।
एक कुआं जहां सामान्य जाति और ओबीसी के उपयोग करते हैं तो वही उसी के सामने बना दूसरा कुआं अहिरवार समाज की जाति के लोग उपयोग करते हैं और उसी के बगल में बना तीसरा कुआं जिसका उपयोग वंशकार जाति के करते हैं हालांकि तीसरे कुएं में पानी नहीं होने के कारण दूसरी जगह से पानी ला रहे हैं। गंभीर बात यह है सामाजिक समरसता की बात करने वाली जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने अभी तक इस गंभीर मामले पर ध्यान क्यों नहीं दिया।
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं
टीकमगढ़ से सुजानपुर गांव आज भी विकास की राह से कोसों दूर है इस गांव में नल जल योजना भी चालू नहीं है लोगों को हुआ और हैंडपंप से पानी भरना पड़ रहा है। इस गांव की आबादी लगभग 4000 से अधिक है लेकिन इस गांव में आज भी बुनियादी सुविधाएं मौजूद नहीं है। सड़क और पक्की नाली का निर्माण नहीं किया गया है। गंदगी का आलम चारों तरफ दिखाई देता है। गांव में अधिकांश कुंवर हैंड पंप में पानी नहीं है गर्मी के इस मौसम में पानी के लिए लोग परेशान हो रहे हैं 2 से 3 किलोमीटर दूर लोगों को पैदल चलकर पानी लाना पड़ रहा है।
पानी का स्तर इतना नीचे चला गया है कि लोगों को कुएं से पानी खींचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गंदा पानी पीने को मजबूर हैं लोग जिस जगह अलग-अलग जाति के हुए बने हुए हैं उन कुए का भी जल स्तर काफी नीचे चला गया है लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं साफ पानी भी उनके नसीब में नहीं है। जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों ने अभी तक इस गंभीर समस्या पर ध्यान क्यों नहीं दिया। इन सभी जिम्मेदारों लापरवाही साफ नजर आती है। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि जब पानी का संकट खड़ा हो जाता है तो एक दूसरे कुओं से पानी भर लेते हैं पहले से ही अलग-अलग हुए बनाए गए हैं।