अब्दुल रकीब। अब से महज 12 दिन बाद मध्यप्रदेश की जनता का फैसला दुनिया के सामने आ जाएगा। 3 दिसंबर के दिन जब स्ट्रांग रूम का ताला खुलेगा और वोटों को गिनती शुरू होगी… तो राजनेताओं के दिलों की धड़कनें भी उसी हिसाब से कम ज्यादा होने लगेगी। सरकार रहेगी या जाएगी, इसका फैसला तो तीन दिसंबर को हो ही जाएगा लेकिन मध्यप्रदेश की कई हाइप्रोफाइल सीट पर इस बार सबकी नजरें टिकी है, क्योंकि इस चुनाव में कई दिग्गजों और बड़े मंत्रियों की साख दांव पर लगी है। 17 नवंबर को राज्य में हुई बंपर वोटिंग ने इस बार मौजूदा सरकार को सख्त संदेश दिया है, ये संदेश उन मंत्रियों को भी है। जिन्होंने पिछले 5 सालों में जनता से ज्यादा अपना विकास किया है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस विधानसभा सीट पर कम वोटिंग हुई है, वहां मौजूदा विधायक को नुकसान हो सकता है। की विश्लेषक तो कम वोटिंग वाली सीटों पर मौजूदा विधायक की हार का अंदेशा भी जता रहे हैं। आज हम कुछ ऐसी ही सीटों के बारे में बताएंगे जहां कम मतदान हुआ है।
नरेंद्र सिंह तोमर (दिमनी विधानसभा)
सबसे पहले बात करते हैं, दिमनी विधानसभा सीट की… क्योंकि यहां सिर्फ शिवराज ही नहीं बल्कि पीएम मोदी की भी साख लगी है। मोदी कैबिनेट के मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को बीजेपी ने जैसे ही दिमनी सीट से विधानसभा चुनाव में उतारा ये सीट हाइप्रोफाइल हो गई। सोची समझी रणनीति के तहत और यहां की आसपास की सीटों को प्रभावित करने के लिए बीजेपी ने तोमर को मैदान में उतारा था। लेकिन यहां सिर्प 67% मतदान हुआ है। पहले से ही त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी इस सीट की कम वोटिंग ने नरेंद्र सिंह तोमर की धड़कनें बढ़ा दी है। जब से बीजेपी ने तोमर को मैदान में उतारा तब से ही कांग्रेस के मौजूदा विधायक रविंद्र तोमर और बसपा के बलवीर सिंह दंडौतिया उन्हें कड़ी टक्कर देते आए हैं। अब इस सीट पर नरेंद्र सिंह तोमर बुरी तरह फंसे हुए नजर आ रहे हैं।
नरोत्तम मिश्रा (दतिया विधानसभा)
शिवराज सरकार के सबसे ज्यादा कद्दावर मंत्रियों की लिस्ट में टॉप पोजीशन पर रहने वाले गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को एमपी का चाणक्य कहा जाता है। राजनीति के चतुर खिलाड़ी माने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा की सीट दतिया विधानसभा में इस बार 75 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि बंपर वोटिंग होने के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक ये मान रहे हैं कि इस बार नरोत्तम के पक्ष में हवा नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, कांग्रेस प्रत्याशी का टिकट बदलना… इस सीट से कांग्रेस ने पहले अवधेश नायक को टिकट दिया था। लेकिन इस बार कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए राजेंद्र भारती को मैदान में उतारा है। राजेंद्र भारती को नरोत्तम मिश्रा का धुर विरोधी माना जाता है। नरोत्तम से खास राजनीतिक रंजिश रखने वाले भारती के अंडर करंट पर कांग्रेस को पूरा भरोता है। सियासी पंडितों की मानें तो इस बार मंत्री जी की सीट पर कांटे की टक्कर है, और मामला पूरी तरह से फंसा हुआ है।
कैलाश विजयवर्गीय (इंदौर 1)
बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को कौन नहीं जानता… एमपी की सियासत से निकल कर राष्ट्रीय नेता बनने तक का उनका सफर से भी हम सब वाकिफ हैं। लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव का इम्तिहान विजयवर्गीय के लिए बेहद मुश्किल होने वाला है। क्योंकि उनके सामने कांग्रेस के सबसे अमीर विधायक संजय शुक्ला मैदान में है। पिछली बार बीजेपी का गढ़ कही जाने वाली इंदौर-1 सीट से जीत दर्ज कर कांग्रेस के संजय शुक्ला ने इतिहास रच दिया था, लेकिन इस बार उनके सामने कैलाश विजयवर्गीय जैसी शक्तिशाली चुनौती है। हालांकि, यहां के वोटिंग परसेंटेज ने शुक्ला को राहत की सांस दी है। इंदौर-1 सीट पर कुल 69 फीसदी मतदान रहा, जो मध्यप्रदेश की बंपर वोटिंग के मुकाबले कम है। सियासी जानकारों का कहना है कि कम वोटिंग की वजह से इस हाइप्रोफाइल सीट पर कैलाश विजयवर्गीय की राह बेहद मुश्किल हो गई है।
इन मंत्रियों को भी सता रहा हार का डर!
इन दिग्गजों के अलावा एमपी के कुछ मंत्रियों को भी इस बार सीट जाने का डर सता रहा है। इसकी वजह है वोटिंग परसेंट का नया ट्रेंड… वोटर्स का ये नया ट्रेंड माननीयों को चौंका रहा है। एमपी वोट प्रतिशत डेढ़ फीसदी बढ़ने के बावजूद 50 सीटों पर वोटिंग घट गई है। बात करें मंत्रियों की तो शिवराज सरकार के 9 मंत्रियों की सीट पर इस बार बेहद ही कम मतदान हुआ है। इन मंत्रियों में प्रेम सिंह पटेल, भूपेंद्र सिंह, उषा ठाकुर, रामखेलावन पटेल, मीना सिंह, विश्वास सारंग, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, तुलसी सिलावट और जगदीश देवड़ा शामिल हैं। इन सीटों पर वोट प्रतिशत घटने से मुकाबला रोमांचक हो गया है। इन हाइप्रोफाइल सीटों पर सियासी पंडितों की खास नजर है।