Lucknow में एनआईए की विशेष अदालत ने अवैध धर्म परिवर्तन के मामले में मोहम्मद उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 12 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। चार अन्य दोषियों को 10-10 वर्ष कैद की सजा दी गई है। अभियुक्तों पर राष्ट्रद्रोह और अवैध धर्मांतरण का आरोप था।
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में गिरोह बनाकर अवैध धर्मांतरण कराने के मामले में मौलाना उमर गौतम, मौलाना कलीम सिद्दीकी समेत 14 दोषियों को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। लखनऊ की NIA-ATS कोर्ट ने इनको दोषी करार दिया था। मुस्लिम मिरर की खबर के अनुसार, इस मामले में एक आरोपी इदरीस कुरैशी को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है। एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 417, 120b, 153a, 153b, 295a, 121a, 123 व अवैध धर्मांतरण की धारा 3, 4, व 5 के तहत दोषी पाया था। एनआईए-एटीएस स्पेशल कोर्ट के जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने इस मामले में सजा सुनाई है।
क्या था पूरा मामला?
अदालत ने आरोपियों पर दोष तय करते हुए कहा कि सरगना ने अपने गिरोह के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट बनाया था। ये लोग मुस्लिम आबादी के कम होने और संतुलन बनाने के लिए लोगों को मुस्लिम धर्म अपनाने के लिए पैसों का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने लगे। इस पूरे गिरोह ने कई लोगों का धर्म परिवर्तन करवा कर मुस्लिम बनाया, जिसकी वजह से समाज में भाईचारा बिगड़ा। इसका असर देश की अखंडता और एकता को बढ़ाने वाली बंधुता पर भी पड़ा।
एजेंसी ने कोर्ट को कि आरोपियो ने अपने इस अवैध कार्य के लिए इस्लामिक दवाह सेंटर के अलावा डेफ सोसायटी को केंद्र बनाकर पूरे भारत मे जाल बिछाया, जिसमें विदेशों में बैठे आरोपियों के सहयोगियों ने हवाला के जरिये भारी धन की व्यवस्था की। पुलिस कार्रवाई में आरोपियों के पास से पासपोर्ट, मोहर, साहित्य, धर्म और नाम बदलने वाले पुरुष, महिला व बच्चों की सूची, मोबाइल, लाइसेंस, पहचान पत्र, आधार, पैन, मैरिज सर्टिफिकेट और कंवर्जन रजिस्टर बरामद हुआ था।