पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार ने एंटी-रेप बिल पास कर दिया है. इस बिल में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के लिए सजा को और सख्त किया गया है. इस विधेयक के तहत दुष्कर्म के मामलों की जांच 21 दिनों में पूरी करनी होगी। भाजपा ने घोषणा की है कि वह विधेयक का समर्थन करेगी।
महिला डॉक्टर से वारदात के खिलाफ हो रहे लगातार विरोध-प्रदर्शन के बीच ममता सरकार ने महिलाओं से दुष्कर्म और अन्य यौन अपराधों में कानून को सख्त करने और कठोर दंड देने के लिए यह विधेयक पारित कराने को विशेष सत्र बुलाया है।

TMC सरकार ने विधानसभा में ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ पेश किया है. इस बिल के तहत बलात्कार पीड़िता की मौत होने की सूरत में दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है. मौजूदा कानूनों में बदलाव के बाद इस बिल को पेश किया गया है.अपराजिता टास्क फोर्स के गठन का भी प्रस्ताव विधेयक में यौन अपराधों के लिए जांच और अभियोजन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव करने की बात है। जांच प्रारंभिक रिपोर्ट के 21 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी। जांच में तेजी लाने और पीड़ितों के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए जिलास्तर पर अपराजिता टास्क फोर्स नामक एक विशेष कार्य बल के गठन का भी सुझाव है, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे।
जानिए क्या है Anti-Rape Bill

1 इस बिल के भीतर रेप और हत्या करने वाले आपराधी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान.
2 चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा-ए-मौत का प्रावधान.
3 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी.
4 अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान.
5 हर जिले के भीकर स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाए जाने का प्रावधान.
6 रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन.
7 रेप के साथ ही एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर, इसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान.
8 पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ 3-5 साल की सजा का प्रावधान.
9 विधेयक में रेप की जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए BNSS प्रावधानों में संशोधन शामिल.